Anugoonz

Friday, September 10, 2021

श्री गणेश चतुर्थी एवं विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस ( धार्मिकता से आध्यात्मिकता की ओर)


आज कितना पवित्र दिन है और खास दिन (विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस) भी जिस पर चर्चा होनी बहुत ज़रूरी है। गणेश चतुर्थी के दिन हम घर में श्री गणेश जी को अपने घर लेकर आते हैँ , बिल्कुल एक परिवार के सदस्य की तरह। और कुछ दिन तक रहने के बाद, पूजा,दिया बाती करने के बाद उन्हें विसर्जित कर आते हैँ ,आँखें अश्रुओं से भर जाती हैँ। ये तो हुआ एक धार्मिक पहलू हम पूजा पाठ करते हैँ और धार्मिकता से आध्यात्मिकता की तरफ कैसे जाया जा सकता है ये श्री गणेश जी ही हमें बताते हैँ। 

    विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस ( World Suicide Prevention day) और गणेश चतुर्थी दोनो आज एक ही दिन हैँ तो हमें आध्यात्मिकता का वास्तविक अर्थ समझना ही होगा। पहले हम समझते हैँ श्री गणेश जी किस बात के प्रतीक हैँ। आज के दिन हमारे लिए ये समझना होगा कि गणेश जी के कान बहुत बड़े हैँ जो प्रतीक हैँ कि हमें खुलकर सबकी बात सुननी चाहिए, हमें एक अच्छा श्रोता होना चाहिए। हमें कान का कच्चा नहीं सच्चा होना चाहिए। हम सबकी सुनें लेकिन सिर्फ सत्य को ही मन में ग्रहण करें।श्री गणेश जी निष्कपटता, विवेकशीलता, अबोधिता और निष्कलंकता के प्रतीक हैँ। वे विघ्नकर्ता हैँ। हम भी उनकी तरह ही अच्छे गुण ग्रहण करें और निष्कपट और निश्चल बनें। गणेश जी की आँखें, सूंड और खंडित और अखंड दांत कर्मशः सूक्ष्म दृष्टि, विपदा की पहचान, बुद्धि और श्रद्धा के प्रतीक हैँ। 

 अब बात करते हैँ आत्महत्या की घटनाओं की। हम हर मुद्दे पर बात करना चाहते हैँ लेकिन बात जब ज़िंदगी मे तनाव, डिप्रेशन ,उदासीनता या आत्महत्याओं की आती है तो नेगेटिव फीलिंग्स का बहाना बनाकर अपना मुंह मोड़ लेते हैँ।बातें हम बड़ी बड़ी करते हैँ लेकिन जब अपना कोई नज़दीकी जब इस सबसे गुज़र रहा होता है तो सब उससे नेगेटिव कहकर किनारा कर लेते हैँ। अपनी बात कहने के लिए और दूसरों की बातें सुनने के लिए बहुत साहस चाहिए होता है। आखिर हमारी शिक्षा हमें सिर्फ धार्मिक ही क्यों बनाती है आध्यात्मिक क्यों नहीं ? आध्यात्मिकता हमें ज़िंदगी के हर पहलू के साथ तालमेल बैठाना सीखाती है। यह बताती है हमें कि मानवता सबसे उच्च कोटि का मूल्य है और प्रेम भाव और हमदर्दी सबसे उत्कृष्ट भावना। हम खुलकर बात कह पाते हैँ और अच्छे श्रोता बन पाते हैं। आत्महत्याओं और जीवन के प्रति उदासीनता को रोका जा सकता है यदि हम एक दूसरे के बारे में बात ना करके एक दूसरे से बात करें।गलत राय बनाने से पूर्व समझने का प्रयास करें।

हम अपने इष्टदेव को पूजते हैँ लेकिन उनकी विशेषताओं से क्या कुछ सीख पाते हैँ? श्री गणेश जी अब कुछ दिन एक सदस्य की तरह घर में रहेंगें। सिर्फ दिया बाती ना करके ध्यान मग्न होकर उनकी विशेषताओं को आत्मसात करने की कोशिश करें हम। अच्छे श्रोता बनें, सरल बनें तो कोई हमारे आसपास आत्महत्या नहीं करेगा, कोई जीवन के प्रति उदासीन ही नहीं होगा। हम आराधना के वक्त एक साथ बैठें और प्रण करें कि कोई भी हमारे रहते अकेला महसूस नहीं करेगा। हम खुद भी मुस्कुराते रहें और दूसरो को भी मुस्कुराने की वजह दें तभी हमारे इन श्री गणेश् चतुर्थी जैसे पावन त्योहारों की सार्थकता होगी। 

जय श्री गणेश...आप सभी को श्री गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ...🙏✍️ अनुजा कौशिक










2 comments:

नारी शक्ति के लिये आवाज़ #मणिपुर

 'यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता' जहाँ नारी की पूजा होती है वहाँ देवता निवास करते हैं। यही मानते हैं ना हमारे देश में? आजक...