Anugoonz

Tuesday, July 28, 2020

गंगा किनारे


पिछले हफ्ते ऋषिकेश जाना हुआ..गंगा किनारे बहुत आनंद और शांति का एहसास हो रहा था..चारों तरफ ऊँचे पहाड़,हरे भरे वृक्षों से आच्छादित,जैसे, दृश्य को और भी खूबसूरत बना रहें थे..सुंदर रंग बिरंगे पक्षी कभी गंगा के इस पार कभी उस पार अठखेलियां कर रहें थे जैसे अपनी किस्मत पर इतरा रहें हों कि देखो हम कितने किस्मत के धनी हैँ जो गंगा माँ की गोद में पल बढ़ रहें हैँ..जीवन पवित्रता से भरा है हमारा..निश्छलता का एहसास लिये और मन में पावन मंत्रों का जाप करते हुए जैसे ही गंगा माँ के पवित्र जल को मैंने छुआ हृदय में एक गहरी ठंडक का एहसास हुआ..लगा यही है जीवन की सच्चाई हृदय की शीतलता एवं सरलता और हम हैँ कि इस भाग दौड़ भरी ज़िन्दगी में मार्ग से कहीं जैसे भटक से गये हैँ..विचारों की उधेड़बुन में लोहे की ज़ंज़ीर पकडे हुए डुबकी लगाने की कोशिश में मन घबरा सा गया..पानी असल में बहुत गहरा था..विशाल लहरें अलग अलग आकार लेते हुए कलकल करती हिलोरें ले रहीं थीं..दूर दूर तक देखने पर बस तेज़ धूप में चांदनी बिखेरती लहरें अपना और भी विकराल रूप लेती जा रही थीं.. मैं त्रिवेणी घाट की एक जलमग्न सीढ़ी पर बैठे हुए एकटक लहरों को निहार रही थी कि अचानक दो तीन छोटे छोटे लड़के आये और धीरे धीरे गंगा के अंदर पैरों से गहराई की टोह लेते हुए बिल्कुल बीच में जाकर जलमग्न हो गये और फिर काफी दूर जाकर वे जल से बाहर निकले और फिर से यही प्रक्रिया कई बार दोहराई गयी.. 

मुझसे आखिर रहा नहीं गया और पूछ ही लिया, "बेटा, डर नहीं लगता क्या आपको..इतनी गहराई में कुछ हो गया तो..किसलिए करते हो ऐसा? " 
जवाब मिला, "आंटी जी पैसे ढूंढ़ने के लिये हम गंगा नदी में छलांग लगाते हैँ..ये हमारा रोज़ का काम है.. प्रतिदिन लोग गंगा जी में पैसे फेंकते हैँ और हम ढूंढ कर निकाल लाते हैँ" और उसने एक रुपये का सिक्का मुझे खुश होते हुए दिखाया...

एक बार को मन बहुत बेचैन हुआ और व्यथित भी. क्या हम इंसान इतने भावनाहीन हो गये हैँ..क्या इतने भी संवेदनशील नहीं रहे हम कि अपने साथ साथ दूसरे इंसानों का दुख दर्द भी समझ सकें..पूजा प्रार्थना तक तो ठीक है पर जहाँ तक चंद सिक्कों की बात है वहाँ हमें ये समझना चाहिये कि ये रूढिवादियाँ कि सिक्के डालने से मनोकामनायें पूर्ण होती हैँ ये सब व्यर्थ हैँ..सिक्के तो गंगा की तलहटी में जाकर बैठ जाते हैँ और किसी काम के नहीं रहते..उन्हें अगर ज़रूरतमंदों को दान किया जाए या किसी भूखे का पेट भर दिया जाए.. किसी के चेहरे पर मुस्कुराहट बिखेर दी जाए..शायद इससे बड़ी पूजा कोई और नहीं..हम सभी ईश्वर के अंश हैँ और एक दूसरे का ख्याल रखना..ज़रूरतमंदों की मदद करना हमारा फर्ज़ है..उस दिन मुझे सच में उन बच्चों के लिये सहानुभूति महसूस हुई.. सरकार को भी उनकी मदद करनी चाहिये और कोई सख्त कदम भी उठाने चाहियें ताकि छोटे छोटे बच्चे चंद सिक्कों के लिये अपनी जान जोखिम में ना डाल सकें..बच्चों के लिये कानून तो ढेर सारे बनें हैँ पर उनकी अवहेलना सरे आम हो रही है.. आपकी क्या राय है इस बारे में..ज़रूर लिखियेगा... ✍️अनुजा कौशिक 

Sunday, July 19, 2020

शिवरात्रि की शुभकामनायें.. ॐ नम: शिवाय

पूजा करने का अर्थ सिर्फ मूर्ति पूजा करना नहीं है..मेरे विचार से पूजा करने का अर्थ है अपने अंदर ईश्वर को महसूस करना..ईश्वर के गुणों को अपने भीतर आत्मसात करने की कोशिश करना..अहंकार रहित हो जाना..दूसरों की भावनाओं और विचारों को उचित सम्मान देना और स्वयं को प्रेम, विश्वास और सहयोग जैसे दैवीय गुणों से भर लेना..ईश्वर भी कहते हैँ *जहाँ "मैं" वहाँ मैं नाहीं* अर्थात जहाँ पर हमारा अहं होता है वहाँ ईश्वर कभी नहीं होते..हमारे किसी कर्म से दूसरों की आत्मा को कोई दुख ना पहुंचे..हम सभी की ख़ुशी का माध्यम बनें..यही है असली ईश प्रार्थना..ईश्वर की कृपा हम सब बनी रहें..आप सभी को शिवरात्रि की शुभकामनायें..ॐ नम : शिवाय  ✍️ अनुजा कौशिक 🙏♥️💐


Wednesday, July 15, 2020

कोरोना संग तीज त्यौहार



मेरे द्वारा रचित इन पंक्तियों में मैंने व्यक्त किया है कि कैसे हम तीज त्यौहार को कोरोना के होते हुए भी हर्षोउल्लास के साथ मना सकते हैँ.. कोरोना के आने से कोई त्यौहार मनाने की उमंग थोड़ा ही खत्म हो गयी है.. दिल में खुशियाँ हों तो हर त्यौहार खुद ही खुशनुमा हो जाता है.. जैसा हम सोचते हैँ वैसा ही इस संसार को देखते हैँ..तो सुनकर और देखकर बताइयेगा ज़रूर आपको मेरे द्वारा रचित पंक्तियाँ और वीडियो कैसा लगा..आपकी प्रतिक्रिया के इंतज़ार में..✍️ अनुजा कौशिक 

Monday, July 13, 2020

*परीक्षा परिणाम.. बच्चों में बैचेनी और बड़ों की ज़िम्मेदारी*


***ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग...फोन की घंटी बजती है..लड़का देखता है उसके दोस्त का फोन है..वो उठा लेता है.. 
"हाँ बोल भाई सचिन, कैसा है तू"?  राघव ने पूछा 
"यार परीक्षा का रिज़ल्ट आने वाला है बहुत घबराहट हो रही है" सचिन ने कहा"
"डोंट वरी यार जो होगा देखा जाएगा तुम टेंशन मत लो" राघव बोला 
फिर राघव की मम्मी सचिन को अपनी ज़िन्दगी के अनुभव बताकर उसे थोड़ा सा प्रोत्साहित करती है और समझाती है कि अब अगली कक्षा की तैयारी में अच्छे से जुट जाओ..अब पिछली कक्षा के मार्क्स की चिंता मत करो..आदि आदि 

दोस्त का फोन हर रोज़ आने लगता है अपनी बेचैनी को अपने दोस्त के साथ साझा करके अपने मन को शांत करने के लिए..

एक दो दोस्त की और भी कॉल्स आती हैँ वो भी आधी रात को..दोस्त से अपनी बेचैनी बांटने के लिए..

राघव की मम्मी ने राघव से बड़े प्यार से कहा " बेटा रिज़ल्ट चाहे कुछ भी हो सबसे ज्यादा ज़रूरी है मानसिक स्वास्थ्य.. सिर्फ अच्छे नंबर किसी की योग्यता को नहीं परख सकते..आप अपने दोस्तों को धैर्य से सुन लिया करो इससे उनकी बेचैनी दूर हो जाएगी और आप जो महसूस करते हो मुझसे बेझिझक शेयर कर सकते हो 🤗***

✍️ ये कहानी नहीं सच्चा वार्तालाप है दोस्तों के बीच जो परीक्षा के रिज़्लट के आने की चिंता से इतने ग्रस्त हैँ कि बेचैन हो उठे हैँ..रातों की नींद गायब हो चुकी है..बार बार मैं इस विषय पर लिखने के लिए बेबस हूँ..ICSE के रिज़ल्ट आये तो अख़बार में भी पढ़ा कि एक लड़की ने रिज़ल्ट से एक दिन पहले आत्महत्या कर ली और जब रिज़ल्ट आया तो उसके 71% मार्क्स आये थे..क्या सिर्फ 90% वाले बच्चे ही बेहतर कर सकते हैँ..70 या 80% वाले नहीं.. ज़रूर पेरेंट्स की उम्मीदें उनके अंदर बेचैनी जगा देती होंगीं.. क्यों बच्चे बेचैन हैँ.. आत्महत्या करने को मज़बूर हैँ..क्यों नहीं पेरेंट्स के साथ शेयर कर सकते वे अपने दिल की बात?  CBSE का 10वीं और 12वीं का रिज़ल्ट आने वाला है..बच्चे पहले से ही बहुत बेचैन हैँ..परिणाम चाहे अच्छा हो, सामान्य हो या बुरा हो.. अपने बच्चों से खुलकर बात कीजिये कि आपकी ज़िन्दगी में उनका होना ही बहुत महत्वपूर्ण है..मानसिक स्वास्थ्य बहुत ज़रूरी है..इस वक्त बच्चों को अपने माता पिता के साथ की सख्त ज़रुरत है..डांटिए मत.. भविष्य के लिए अच्छा करने के लिए प्रोत्साहित कीजिये.. उनके सम्पूर्ण व्यक्तित्व को निखारने में उनका सहयोग कीजिये..हर बच्चा स्पेशल है..उन्हें अपने मनपसंद विषय चुनने दीजिये..उन पर विश्वास रखिये..फिर बच्चे हमारी उम्मीदों पर ख़रा ज़रूर उतरेंगें..क्या आप सहमत हैँ मेरे विचारों से ? आपकी क्या राय है ज़रूर लिखियेगा..सहमत हों तो शेयर कीजिये ✍️अनुजा कौशिक 

Sunday, July 12, 2020

आत्मिक रिश्ते

*ज़िन्दगी में हम चाहे कितने भी रिश्ते बना लें लेकिन असली ख़ुशी वे तभी देंगें जब हम उन्हें दिल से निभायेंगें..वरना हर बार उलझते रहेंगें और तोड़ते रहेंगें..गलतियों पर साथ छोड़ने वाले तो बहुत होते हैँ..जो हमारी गलतियों पर समझाकर हमारा साथ दें..जो हम पर तब भी विश्वास करें..प्रेम करें जब हम खुद पर ही विश्वास करना छोड़ देते हैँ..अच्छे रिश्तों को समझने के लिए चतुर दिमाग़ नहीं साफ सुन्दर हृदय चाहिये.. दिमाग़ तर्क ढूंढेगा और हृदय सिर्फ आत्मिक गहराई और अच्छाई...*शुभ दिन.. जय श्री राधे कृष्ण* 🙏♥️💐

Wednesday, July 8, 2020

CBSE completely deleted the Chapters


Federalism, Citizenship, Nationalism and Secularism are so much important chapters for the students..I don't know why CBSE had to cut these chapters from the political science curriculum of 11th in a bid to rationalise syllabus..Anyways..Most of the students of 11th standard have already completed their syllabus..They finished these topics already.. No need to cut the syllabus.. Whats your opinion? 

Sunday, July 5, 2020

गुरु पूर्णिमा

मेरे माता पिता मेरी ज़िंदगी में आने वाले सर्वप्रथम गुरु,मेरे शिक्षक जिन्होंने मुझे किताबी और व्यवहारिक ज्ञान दिया और मेरी ज़िन्दगी में आने वाला हर वो शख्स मेरा गुरु है जिसने अपनी ज़रुरत के हिसाब से मुझसे बुरा और अच्छा व्यवहार किया..मुझे वास्तविक ज्ञान दिया..सभी का तहेदिल से शुक्रिया..अच्छे व्यवहार ने मुझे प्यार करना सिखाया..मुझे सिखाया कि खुद से प्यार करेंगें तो दूसरों से भी प्यार कर पायेंगें और बुरे व्यवहार ने मुझे धैर्यवान,सहनशील बनाया और मेरा अहंकार घटाया..मेरे अंदर की सारी अच्छी भावनाओं को निखारने में मेरा सहयोग दिया..सबसे ऊपर मेरी आत्मा मेरी सबसे बड़ी गुरु जिसने मुझे हमेशा सही रास्ता दिखाया..सभी के साथ साथ मेरी अंतरात्मा को भी शुक्रिया..सभी को गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनायें...शुभ दिन 🙏🙏
🌹🌹 

Wednesday, July 1, 2020

Corona, Isolation and Stigma


Some people are hiding their status of being Corona+ve..I can correlate it to my situation of being a Diabetic..People in our society make it a big issue if you have an incurable disease..Many times I have faced very awkward comments from the people that forced me to hide my status & suffered from anxiety.. But after a long time I understood that having an incurable disease is not a shame..In fact we have to be very strong to accept it.. why to hide..we should accept ourselves freely...And People who are Corona+ve should not hide their status too... We in our families should make everyone aware that its not a social stigma or shame to isolate yourself if there are any symptoms seen..this is our responsibility to protect the society from such infection.. A pre & post counseling sessions are required for the people who are being isolated and undergoing treatment respectively.. What do you think??  ✍️Anuja Kaushik✍️

नारी शक्ति के लिये आवाज़ #मणिपुर

 'यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता' जहाँ नारी की पूजा होती है वहाँ देवता निवास करते हैं। यही मानते हैं ना हमारे देश में? आजक...