Anugoonz

Sunday, June 28, 2020

Anxiety of Exam Results among children & Parents' Responsibility


15 जुलाई से पहले 10वीं और 12वीं कक्षाओँ के परिणाम  आने की सम्भावना है..बच्चों की और माता पिता के हृदय की धड़कनें भी बढ़ गयीं होंगीं..ज्यादा डर इस बात का होगा मन में कि अगर कम मार्क्स आयेंगें तो लोग क्या कहेंगें..लगभग हर बच्चा और माता पिता यही प्रार्थना कर रहा होगा कि 85% से ऊपर मार्क्स तो आ ही जाने चाहिये..पहले से ही बच्चे मन ही मन घबराये हुए होते हैँ..ऊपर से पेरेंट्स और रिश्तेदारों की उम्मीदें उनके अंतरर्मन को परेशान कर रही होंगीं..ऐसे में हम सभी को समझना होगा कि किसी विषय में पूरी नॉलेज़ प्राप्त करना और मार्क्स लाने में बहुत अंतर होता है..किसी भी बच्चे की योग्यता को सिर्फ अच्छे मार्क्स के साथ नहीं परखा जा सकता..प्रतियोगी परीक्षाओं में बहुत बार औसत बच्चे कमाल कर जाते हैँ और अच्छे मार्क्स वाले नहीं सफल हो पाते..कितने ही ऐसे उदाहरणों से भरा पड़ा है हमारा समाज..इसलिए एक पेरेंट होने के नाते मैं तो यही कहना चाहूंगी कि अगर नॉलेज़ अच्छी होगी तो हमारे बच्चे किसी भी क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करेंगें..हमारे बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य अच्छे मार्क्स लाने से ज्यादा ज़रूरी है..अगर अच्छे मार्क्स आ गए तब भी बहुत अच्छा..नहीं भी आये तब भी बहुत अच्छा..हर माता पिता का कर्तव्य बनता है अपने बच्चे को इतने आत्मविश्वास से भर देना कि वो किसी भी परिस्थिति में हार ना माने..जब बच्चे आत्मविश्वास से भरपूर और खुद से प्रेरित और संतुष्ट होते हैँ तो वे हर क्षेत्र में अच्छा ही करते हैँ.. इसलिए लोग क्या कहेंगें वाली सोच से आगे निकलिए..अभी से हर पेरेंट को अपने बच्चे की  कॉउंसलिंग शुरू कर देनी चाहिये.. आप सभी क्या सोचते हैँ इस बारे में ? 😍✍️ अनुजा कौशिक 
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English Translation 

 There is a possibility of results of 10th and 12th classes to be declared before July 15..The children's and parents' heartbeats will also have increased..There will be more fear in mind thinking what people will say if less marks come .. Nearly every child and parent must be praying that above 85% marks should be reached… Already the children are getting nervous..Above all the expectations of parents and relatives are also disturbing their inner self. In this case, we all have to understand that there is a lot of difference in getting complete knowledge and marks in a subject ..The qualification of a child cannot be determined only with good marks ..Very often in competitive examinations  Average children do wonders and sometimes those with good marks do not succeed .. There are so many examples in our society. So as a parent, I would like to say that if knowledge is good then our children will do well in any field .. Our children's mental health is more important than bringing good marks. It is the duty of every parent to fill their child with such confidence that they do not give up under any circumstances .. When the child is confident and self motivated and Satisfied, they will excel in every field ..So get ahead of what people will say ..This is the right time..every parent should start counseling their child .. What do you all think about this?  😍✍️ Anuja Kaushik

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Saturday, June 27, 2020

दहेज़ प्रथा (Dowry System)

" एक i20 कार लड़के की,एक जोड़ी झुमके सास के, एक जोड़ी कानों की बालियां नन्द की,एक सोने की अंगूंठी लड़के की, एक जेठ की और एक ससुर की"... लम्बी चौड़ी लिस्ट हाथ में लिए ज़ोर ज़ोर से पढ़ते हुए एक लड़के को मैं एकटक देखते हुए सुने जा रही थी..मन को कुछ प्रश्न भी घेरे जा रहें थे...ये एक रिश्तेदार के घर पर सगाई का दृश्य था और जो लड़का लिस्ट पढ़ रहा था वह लड़की का भाई था..बहुत शोर हो रहा था, बड़े बूढ़े सगे संबंधी सब इतना सारे  दहेज़ के सामान की लिस्ट को देखकर वाह वाह कर रहे थे और वहीं महिलायें एक तरफ बैठकर कुछ अच्छा बता रहीं थीं..कुछ नुक्स निकाल रहीं थीं..मन में बहुत सारे प्रश्न थे कि शादी ब्याह कोई व्यापार है क्या?  सबके सामने सामान की लिस्ट पढ़ना एक रिवाज़ है पर क्यों? क्यों लड़की के माता पिता पर इतना बोझ पड़ता है?  और अगर नहीं भी पड़ता होगा तो इतना दिखावा क्यों?  क्यों दूसरों के लिए भी मुश्किल खड़ी कर देते हैँ लोग..इतना सारा लेन देन, अपनी हैसियत से बढ़कर शादी का प्रबंध करना, बढ़िया से बढ़िया खाना और साजो सजावट..क्यों?  और इतना सब करने के बाद भी लड़की ससुराल में खुश रहेगी ये भी निश्चित नहीं.. जहाँ पर इतना लेना देना शुरू में ही है..जहाँ पैसा पहले ही रिश्तों के बीच आ गया वहाँ सच्चा प्रेम कैसे रह सकता है? क्यों नहीं समझ पाते हैँ लोग कि जो बात सरलता से रिश्ते निभाने में है वो दिखावे में कतई नहीं है..

खैर शादी भी हंसी ख़ुशी के माहौल में सम्पन्न हो गयी थीं.. क़रीब एक वर्ष के बाद जब दोबारा अपने रिश्तेदार के घर जाना हुआ तो पता चला कि रिश्ता टूटने की कगार पर है..रिश्तेदार से पूछा तो ज़वाब मिला "आजकल के बच्चे कहाँ आपसी समझ बरकरार रख पाते हैँ..ना बड़ों के लिए सम्मान है दिल में".. बहुत सारी शिकायतों का अम्बार लग रहा था...पर बीच में एक बात निकल कर आई कि लड़की के माता पिता ने भी बहुत बड़ा झूठ बोला और i20 की जगह सैंट्रो कार दी है..बहुत सा सामान जो लिस्ट में था वो भी नहीं है.. बात पूरी तरह से मेरी समझ में  आ गयी थीं कि ये व्यवहार का कम दहेज़ का मामला ज्यादा है.. आख़िरकार रिश्ता टूट ही गया था.. क्यों लोग पैसों को और दिखावे को रिश्तों को बीच में लाकर उनकी गरिमा को खराब कर देते हैँ.. दहेज़ किसी भी मायने में ठीक नहीं और दहेज़ को लेकर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रताड़ित करना तो एक जघन्य अपराध है..हमारी पीढ़ी के जितने भी सुशिक्षित लोग हैँ वे समाज से इस दहेज़ प्रथा को खत्म करने के लिए अगर एक जुट हो जाएँ तो समाज को सुधारा जा सकता है..एक एक आवाज़ बहुत मायने रखती है...बच्चों को शुरू से ही अच्छे संस्कार देंगे हम तो वे भी रिश्तों की अहमियत को समझेंगे और एक सुगढ़, सुदृढ़ व स्वस्थ समाज के निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा पायेंगें...  ✍️✍️ अनुजा कौशिक 🙏🙏     
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English Translation 

"An i20 car for boy, 71 utensils for girl, a pair of earrings for mother-in-law, a pair of earrings of sister in law , a gold ring for boy, one for brother-in-law and a father-in-law" ... with a wide list in hand..I was hearing a boy while reading aloud..Some questions were keep arousing in my head..It was an engagement scene at a relative's house and the boy who was reading the list was the brother of the girl. There was a lot of noise, all relatives were hearing the list announced by the boy. They were happy for the dowry.

The women were sitting on one side and discussing about the dowry..some were praising it & some were criticizing it for less dowry.. I had a lot of questions in my head..is marriage a business? It is a custom to read the list of goods in front of everyone, but why?  Why is there so much burden on the girl's parents? why so much pretense? Why do people make it difficult for others too…so many transactions, more than their status, managing marriage, good food and unnecessary lavish decoration… why?  And even after doing all this, the girl will be happy in her in-laws, it is also not sure..where it has so much to do in the beginning..where money has already come between the relationships, how can true love be there? Why are people unable to understand that relationships are more important than money..


 Well, the marriage was also completed in a happy atmosphere .. After about a year, when I went to my relative's house again, it came to know that the relationship is on the verge of breaking up .. When I Asked the relative..He answered " Today's children can't maintain the mutual understanding..they don't have Respect for elders in the heart ".. There seemed to be a lot of complaints ... But one thing came out in the middle that the girl's parents lied too big and they were given a Santro car instead of i20 .. a lot of the stuff that was on the list is also not there .. it was completely understood to me that most of the complaints were because of less dowry..Finally the relationship was broken  ..Why do people spoil their dignity by putting money and appearances in the middle of relationships .. Dowry is not good in any sense and harassing directly and indirectly about dowry is a heinous crime ...Our upcoming generation  and All the well-educated people of the society can raise their voice to end this dowry system from society. Every voice means a lot… We will have to teach good values ​​to the children right from the beginning.  So they too will understand the importance of relationships and will be able to play their important role in building a strong and healthy society. ✍️✍️ Anuja Kaushik

Friday, June 26, 2020

जीवन एक सुंदर उपहार है

मेरे विचार में अगर हमने जान लिया कि जीवन का अर्थ जटिलता से सरलता की ओर जाना है..सरल होकर हमें प्रेम और प्रकाश बॉंटने की कोशिश करनी है..अपने जीवन में मिलने वाले सभी प्राणियों से आत्मिक व्यवहार करना सीखना है..हमें आसमान में उड़ने के साथ साथ धरातल पर रहना भी सीखना है तो ये जीवन वास्तव में एक सुन्दर उपहार है लेकिन इस उपहार को खोलकर उपयोग में कोई कोई ही ला पाता है.. अधिकतर तो पथभ्रष्ट हो जाते हैँ इस जीवन की भौतिकता से भारी चकाचौंध को देखकर.. क्या मैं गलत हूँ ?  🙏💐

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English Translation 

In my view, if we come to know that the meaning of life is to go from complexity to simplicity..Because we have to try to share love and light .. We have to learn to behave spiritually with all the beings we meet in life .. We have the sky If you want to fly in and learn to live on the ground, then this life is indeed a beautiful gift, but one can use it to open this gift .. Most of the time, they are misguided by seeing the huge glare from the materiality of this life.  Am i wrong?  


 

ईश्वर हमारे हृदय में है (God resides in our Hearts)

ईश्वर मंदिर मस्जिद चर्च में नहीं बसा है..अगर होता तो वहाँ जाने वाले सभी लोग अहंकार रहित हो जाते..ईश्वर  तो हमारे हृदय में है..हमारा अहंकार रहित प्रेम से भरा मन ही ईश्वर का रहने का स्थान है..हम क्यों नहीं अपने ईष्ट देवों के सुंदर निश्छल चरित्र को अपने भीतर आत्मसात कर पाते..सिर्फ दीया बाती करने से आसपास उजाला नहीं होता..अपने मन मंदिर में प्रेम,करुणा,दया,सहानुभूति रुपी ईश्वर को स्थापित करके कहीं भी प्रकाश किया जा सकता है..हमारे मन, वचन, कर्म से किसी की आत्मा को ठेस ना पहुंचे वास्तव में यही धर्म की व्याख्या है...सुप्रभात..जय श्री राधे कृष्ण 🙏💐♥️

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English Translation :-

God is not situated in the temples, mosques or churches..If it were, then all the people who went there would be Egoless ..God is in our hearts..Our egoless love filled heart and soul is the real place of God..Why we are not being able to imbibe the beautiful innocent characters of our Gods..Just by lighting wick there is no light around..filling our hearts with love, compassion, kindness and empathy, sympathy we can spread our light everywhere by creating temple anywhere. Real interpretation of any religion is that nobody hurts anyone's soul by their thoughts, words and deeds..Good Morning..Jai Shri Radhe Krishna 🙏💐 ♥ ️

Thursday, June 25, 2020

ज़िन्दगी का खूबसूरत पाठ - एक लघु कथा

कुछ किस्से ज़िन्दगी में ऐसे हो जाते है..जो होते तो हैँ बहुत क्षणिक पर ज़िन्दगी का पाठ बहुत महत्वपूर्ण और दीर्घ कालीन सिखा जाते हैँ.. 

हमारे जवाहर नवोदय विद्यालय में अनुशासन बहुत था..छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी गतिविधियाँ भी कठोर अनुशासन के साथ पूर्ण होती थीं और जो नियम तोड़ता था उसके लिए कठोर सजा का प्रावधान भी था..विद्यालय में जब टीचर्स डे होता था तो विधार्थी ही टीचर्स की भूमिका निभाते थे.. 

हुआ कुछ यूँ कि मेरी ही एक बहुत अच्छी दोस्त उस दिन पी टी टीचर बनी थी..मैं ठहरी चंचल सी एक लड़की इस बात को गंभीरता से नहीं ले रही थी..खेल के मैदान में एक कीकर की टहनी को झुलाते हुए मुझे एहसास ही नहीं हुआ कि कब पी टी टीचर बनी उस दोस्त के सिर पर हल्की सी जा लगी..एहसास नहीं था कि वो आज दोस्त नहीं टीचर थी..बस फिर क्या था..बात पहले टीचर्स और फिर प्रिंसिपल तक जा पहुंची..चूँकि अनुशासन बहुत होता था तो सजा भी कठोर ही मिलती थी..पर हमारी पूरी कक्षा के हस्तक्षेप के बाद ये तय हुआ कि जो कुछ हुआ अनजाने में हुआ..उसमें गलती मेरी नहीं थी..सज़ा तो नहीं मिली पर पूरी कक्षा में मेरी उस दोस्त से कोई बात भी नहीं करता था..मुझे भी बातचीत बंद रखनी पड़ी क्योंकि पूरी कक्षा ने मेरा साथ जो दिया था.. ऐसा करते करते काफी दिन बीत गए.. 

एक दिन फिर ऐसा आया कि मेरी उस दोस्त की तबियत काफी बिगड़ गयी..उसे देखकर मेरा दिल पिंघल गया.. मुझसे रहा नहीं गया.. मैं उसे एम आई रूम में डॉक्टर सर के पास लेकर गयी.. हमारा रिश्ता पहले की तरह खूबसूरत हो गया था..हम उस समय बहुत मासूम थे सिर्फ दसवीं कक्षा में लेकिन सीख बहुत गहरी थी..

सीख ये थी कि जीवन में करुणा, प्रेम और सहानुभूति का बहुत महत्व है..कोई कितना भी गलत क्यों ना करे..गलत के साथ गलत होना कभी उचित नहीं.. क्षमा माँगना और क्षमा करना इंसान को अंदर से मज़बूत और खूबसूरत  बना देता है..जैसा हम सोचते हैँ वैसे ही बनते जाते हैँ..धीरे धीरे वो आदत बनती जाती है..अहंकार नहीं प्रेम महत्वपूर्ण है..प्रेम सदा से खूबसूरत है..ज़िन्दगी में हमारे जितने भी कटु अनुभव होते हैँ असल में वे हमें जटिल होना नहीं सरल होना ही सिखाते हैँ..उस दिन मेरे बाल मन में बहुत सारे खूबसूरत विचारों ने जन्म लिया था...✍️✍️ अनुजा कौशिक 
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English Translation :- 


Such stories happen in our life sometimes which are very momentary but life lessons taught by them are very important and long term...


 In our Jawahar Navodaya Vidyalaya, there was a lot of discipline. Even the smallest and the largest activities were completed with rigorous discipline and there was a provision for severe punishment for the rules which were broken. During the teachers' day celebration..students used to play the role of teachers..

A very good friend of mine became a PT teacher that day..I was a girl who was very fickle, I did not take this thing seriously .. I didn't realize that while swinging a babool tree branch in the playing field the branch sightly touched her hair..what was it then..she reached the teachers first and then the principal..and complained about me..the punishment would have been very harsh.. But after the intervention of our whole class, it was decided that whatever happened happened inadvertently .. It was not my fault .. I did not get the punishment but after that incident everybody in the class stopped talking to her..I also had to stop talking because the whole class had supported me .. Many days passed while doing this ..


 One day it came again that my friend's health deteriorated a lot .. My heart melted by seeing her health.. I could not keep up .. I took her to the doctor in the MI room .. Our relationship was as beautiful as before.. It was done .. We were very innocent at that time only in tenth grade but the learning was very deep ..


 The lesson was that compassion, love and empathy are very important in life..no matter how wrong someone is ... it is never right to go wrong with wrong .. Apologizing and forgiving makes a person strong and beautiful inside.We become as we think..slowly it becomes a habit .. love is not only important, its always beautiful .. all the bitter experiences we have in life, in fact they make us.They teach not to be complicated but to be simple..On that day a lot of beautiful thoughts were born in my innocent mind… ✍️✍️ Anuja Kaushik

ज़िन्दगी कैसी- जैसी देखो वैसी


🍃✍..ये दुनियाँ ठीक वैसी है जैसी हम इसे देखना पसन्द करते हैं। यहाँ पर किसी को गुलाबों में काँटे नजर आते हैं तो किसी को काँटों में गुलाब। किसी को दो रातों के बीच एक दिन नजर आता है तो किसी को दो सुनहरे दिनों के बीच एक काली रात। किसी को भगवान में पत्थर नजर आता है और किसी को पत्थर में भगवान।
       किसी को साधु में भिखारी नजर आता है और किसी को भिखारी में भी भी साधु। किसी को मित्र में भी शत्रु नजर आता है और किसी को शत्रु में भी मित्र। किसी को अपने भी पराये नजर आते हैं तो किसी को पराये भी अपने।
       किसी को कमल में कीचड़ नजर आता है तो किसी को कीचड़ में कमल। अगर हम चाहते हैं कि हर वस्तु हमारे पसन्द की हो तो इसके लिए हमें अपनी दृष्टि बदलनी पड़ेगी क्योंकि प्रकृति के दृश्यों को चाहकर भी नहीं बदला जा सकता। हम बस नजर मात्र बदलें..नजारे खुद-बखुद बदल जाएँगे। दृष्टिकोण सुन्दर होना चाहिए..

     *जिन्दगी कैसी- जैसी देखो वैसी*
     
शुभ दिन..जय श्री राधे कृष्ण  🙏🙏🌹💐🌷🙏🏼🙏🏼

Wednesday, June 24, 2020

शिक्षा का उद्देश्य - जिज्ञासु प्रवृति को जन्म देना ( एक लघु कथा)

"भैया, मुझे ये पाठ याद नहीं हो रहा..जब भी याद करती हूँ भूल जाती हूँ" ( छोटी बहन ने रोते हुए अपने बड़े भाई से शेयर किया )

भाई ( बहन से) : आप मेरे पास आकर बैठो..मैं देखता हूँ कैसे याद नहीं होता..अच्छा, बताओ कि किस विषय में सबसे ज्यादा प्रॉब्लम है?  आपका तरीका क्या है याद करने का? 

बहन ( उदासी से ) : भैया मुझे याद तो हो जाता है.. पर डर के कारण भूल जाती हूँ कि परीक्षा के समय अगर भूल गयी तो नंबर भी कम आयेंगें.. 

भाई ( मुस्कुराते हुए ): ओह!!  तो ये है आपकी असली समस्या !! बस इतनी सी बात..अच्छा,आज मैं आपसे कुछ प्रश्न पूछता हूँ..ईमानदारी से ज़वाब देना.. 

बहन ( मुस्कुराते हुए ) : ओके 

भाई : आप वास्तव में पढ़ते किसलिए हो..क्या उद्देश्य है हमारी पढ़ाई करने का?  

बहन : होमवर्क करना, याद करना और एग्जाम में अच्छे मार्क्स लाना..

भाई ( बहन की पीठ थपथपाते हुए ): ओ मेरी बहना, यही तो गलत सोच है हमारी..हमारी पढ़ाई का उद्देश्य सिर्फ अच्छे मार्क्स लाना नहीं होना चाहिये.. उसका उद्देश्य तो हमारे अंदर जीवन के बारे में एक सार्थक समझ पैदा करना है.. हमारे अंदर अपने आसपास के बारे में..इस संसार व ब्रहांड में हो रही घटनाओं और उसके पीछे के कारणों को जानने की जिज्ञासा भर देना है.. हमारी शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ रटते रहना नहीं है..अपने अंदर समझ पैदा करना है.. समझ कर.. जिज्ञासा के साथ याद करोगी तो देर तक याद रहेगा.. आत्म विश्वास बढेगा और अच्छे मार्क्स के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी.. और अगर अच्छे नहीं भी आये तो कम से कम आपको समझ तो होगी ना अपने विषय के बारे में.. यही असली शिक्षा है मेरी बहन !

बहन ( थोड़े आत्म विश्वास के साथ ): भैया, आज मैं समझ गयी हूँ अच्छे से याद करने का राज़..मुझे अपनी नॉलेज के लिए ज्यादा पढ़ना है ना कि मार्क्स के लिए 

भाई ( प्यार से ):  चल अब आपको कुछ काम देता हूँ.. समझकर करो 

बहन और भाई फिर पढ़ने समझने में मशगूल हो जाते हैँ... 

यही तो है हमारी असली शिक्षा..उनके अंदर कुछ सीखने की जिज्ञासा भर देना..जिज्ञासा उत्पन्न होते ही फिर बच्चे के साथ माता पिता को ज्यादा नहीं बैठना पड़ता..अपने आप ही बच्चे मज़े के साथ पढ़ने लगते हैँ..अक्सर हम अपने बच्चों पर ज्यादा मार्क्स लाने का दबाव बनाकर उनका आत्मविश्वास डगमगाते जाते हैँ.. यह नहीं होना चाहिये..हमारा कर्तव्य है उनकी जिज्ञासु प्रवृति को ज्यादा बढ़ावा देना..फिर तो बस चमत्कार ही होगा..                ✍️अनुजा कौशिक 
आपके क्या विचार हैँ इस बारे में..ज़रूर साझा करें.. 

*दमन कभी भी सही नहीं*

" मनुष्य को मनुष्य इसीलिए कहा जाता है,
क्योंकि,
यह चेतना ' मैं ज़िंदा हूं ', 
अन्य किसी में नहीं!

ज़िंदा होने का एहसास हमें हमारी भावनाएं दिलाती हैं,

अपने सभी भावों को खुल कर, सर्वप्रथम, स्वयं को दर्शाना!
और बाद में, अपने नजदीकी लोगों से व्यक्त करना।

अपनी भावनाओं को दबाकर, सदैव हंसते रहने का ढोंग करने से आप सशक्त नहीं होते,
केवल और केवल, अपने आप से सत्य बोलते हुए, अपने सभी भावों को अपनाकर, अपनी भावनाओं को व्यक्त करने से ही, एक सशक्ता हासिल होती है!

अपनी भावनाओं का दमन कभी न करें और ना ही किसी को व्यक्त करने पर नीचा महसूस करायें...हमारी असली ताकत खुद को व्यक्त करने में हैँ..दमन में नहीं..
*दमन कभी भी सही नहीं."* ✍️✍️
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Sunday, June 21, 2020

क्यों ना निष्पक्ष होकर सिर्फ सुन लिया जाए

*क्या होगा अगर कोई खुद को खुलकर शेयर कर लेगा तो..पूरी तरह से किसी को सुने बिना कोई भी फैंसला सुना देना क्या निष्पक्ष होना है..? क्या होगा अगर हम भी कभी अपने व्यवहार के लिए क्षमा मांग लेंगे तो ? अपने अहंकार को छोड़ कर ये समझने का प्रयास करेंगे कि सामने वाला भी तो हमारे गलत व्यवहार के बावज़ूद हमारा साथ देना चाहता है..हमारे गुस्से के बाद भी सिर्फ प्रेम है उसके मन में और हम हमारे अहं में उसे खुद को व्यक्त करने का मौका भी नहीं दें सकते..क्या डर है..? यही कि हम गलत साबित हो जाएंगे..गलत साबित ना हो जाएँ इसलिए हम उसी को कसूरवार ठहराते जाएंगे..क्या हो जाएगा अगर हम गलत साबित हो भी गए तो..कम से कम उसका दिल तो हल्का हो जाएगा..एक मानसिक बोझ जो वो अपने अंतर्मन में लेकर बैठा है वो उतर जाएगा..अहंकार दिखाकर रिश्ते तोड़ने से अच्छा है प्रेम और सहानुभूति दिखाकर रिश्तों को समय देकर उन्हें निभाया जाए..हमारे जीवन की हर जटिलता हमें सरल और सहज बनाने के लिए हैँ..क्यों ना एक बार निष्पक्ष होकर अपनों को सुन लिया जाए.*✍️✍️ अनुजा कौशिक *

Saturday, June 20, 2020

*चलते रहना ही जीवन हैं*

"चलते रहना ही जीवन है 
गति ही जीवन है..
सूर्य चंद्र और ब्रह्मण्ड में नक्षत्र 
कब रूकते हैँ वे रहते गतिशील हैँ 
माँ धरती भी करे परिक्रमा 
थकती ना कभी हारती सदा चलायमान है 
नदियाँ चलती, झरने बहते 
पक्षी उड़ते, हिरन फुदकते 
हर जीव तो ऊर्जावान है 
ज्वार भाटा उठता रहता समुंद्र भी कहाँ शांत है 
तूफ़ान मचलते, बादल घुमड़ते 
बिजली कड़कती, बारिश गिरती 
ये सम्पूर्ण सृष्टि गतिमान है 
शरीर में भी तो है रक्त प्रवाह 
हे मनुज फिर तू क्यों बैठा अशांत है 
गिर पड़ उठ..मत बैठ यूँ हारकर 
मंज़िल हो कितनी भी दूर..
संघर्ष ही जीवन है,बना जीवन को सार्थक 
कर प्रयास बढ़ता चल..चलते रहना 
चलते रहने का नाम ही जीवन है 
बढ़ते रहना ही जीवन है 
गति ही जीवन है **********
        मौलिक एवं स्व रचित-
                     द्वारा-- अनुजा कौशिक 
                          

Thursday, June 18, 2020

अपनों का दें साथ.. सुनकर समझकर

क्या कभी ऐसा हुआ है कि कहीं कोई देख ना ले इसलिए आप बाथरूम के शीशे के सामने खड़े होकर काफी देर तक रोते रहे और खुद को ही समझाते रहे कि ज़िन्दगी में मज़बूत बनना चाहिये..क्या कभी पूरी रात सिर्फ रोने में बीती है? क्या कभी इतने टूटे हैँ कि अपने फोन को खंगालना पड़ा है सिर्फ ये ढूंढ़ने के लिए कि किससे बात की जाए..कौन समझेगा..ज़ज़ नहीं करेगा लेकिन इतने सारे कॉन्टेक्ट्स..फेसबुक व्हाट्सप्प दोस्तों से भरा हुआ..आसपास इतने सारे अपने और सुनने वाला कोई नहीं..सुनाने वाले बहुत हैँ..हम सभी को एक दूसरे की ज़रूरत है.. यही सच है..क्यों हम ज़िन्दगी में रिश्ते बनाते हैँ?  खुश रहने के लिए या फिर दुखी होने के लिए? फिर हम इंसान क्यों एक दूसरे का विश्वास तोड़ देते हैँ..जब कोई इंसान खुद को शेयर करके अपना दिल हल्का करना चाहता है तो हम उसे नेगेटिव की संज्ञा देकर उससे दूर होने लगते हैँ.. उसका फोन उठाना तक बंद कर देते हैँ..तरह तरह के बहाने बनाने लगते हैँ..ब्लॉक कर देते हैँ..अपशब्द कहकर पीड़ा और बढ़ा देते हैँ..किस बात का डर होता है हमें? क्या हमारे अंदर इतनी भी सहनशक्ति या सहानुभूति नहीं है कि हम एक दूसरे को सुन समझकर थोड़ा सा सुकून दे सकें.. क्यों हम दूसरों की भावनाओं का मज़ाक उड़ाकर खुद से ही नफरत करने को मज़बूर कर देते हैँ..खामोश कर देते हैँ उन्हें और खामोशी भी एक तरह की आत्महत्या ही है..
*काश हम स्वार्थी की जगह सारथी बन पाते!! जितनी उत्सुकता, तत्परता हम रिश्ते और दोस्त बनाने में करते हैँ उतनी ही अगर सच्चे दिल से निभाने में भी करते तो ज़िंदगी आनंद,प्रेम और खुशियों से भरपूर रहती..ज़िन्दगी थोड़ी सी आसान हो जाती*...*✍️ *अनुजा कौशिक*

Wednesday, June 10, 2020

संवाद होना चाहिये

जीवन को सही दिशा देने हेतु 
भटकी युवा पीढ़ी को शिक्षा देने हेतु  
संवाद होना ही चाहिये 

निभाने को अपना दायित्व 
परिवार के प्रति,समाज के प्रति 
पिता का पुत्र से और पुत्री से 
सिखाने को अच्छे संस्कार 
संवाद तो होना चाहिये 

बोने के लिए नैतिकता के बीज 
जो करें मानवीय संवेदनाओं का अंकुरण 
कराये अच्छे बुरे की पहचान 
माता का अपने बच्चों से 
संवाद होना ही चाहिये 

हो शिक्षा लोक कल्याण की 
चहुँ दिशा के ज्ञान की..
मिले जीवन को नया अर्थ..
शिक्षक का अपने शिष्यों से 
संवाद होना ही चाहिए

ना करें जीवन में कभी व्याभिचार 
मन वचन कर्म से हों सच्चे आदर्श इंसान 
बनाये जो युवाओं को विचारवान 
बड़ों का अपने छोटो से 
संवाद होते रहना चाहिये

भरने को अपने बच्चों में अच्छे संस्कार 
शिष्टाचार,विनम्रता और अच्छे विचार 
बोये जो अंत:करण में स्नेह,करुणा के बीज 
माता पिता और संतान के बीच 
ऐसा सुंदर संवाद होते रहना चाहिये 

जीवन को सही दिशा देने हेतु 
भटकी युवा पीढ़ी को शिक्षा देने हेतु 
संवाद होना ही चाहिये
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 ( रचना पूर्णतः मौलिक व स्वरचित है।) 
                                     
                ✍️   अनुजा कौशिक 
                           लेखिका 
                       देहरादून (उत्तराखंड )

सकारात्मक सोच ज़रूरी है

*ज़िंदगी के हर मोड़ पर सकारात्मक सोच रखो.. अपनों पर हमेशा अटूट विश्वास रखो.. हर रोज़ खुद से एक बात कहें.. *सब अच्छा होगा..अगर हमारे कर्म, वचन और सोच सही हैं तो दुआएँ हमेशा मिलती ही रहेंगी..हम जितनी ज्यादा सकारात्मक बातें खुद से करेंगे उतनी ही सकारात्मकता हर रिश्ते में..हर काम में दिखाई देगी.. हृदय में सच्चा प्रेम.. होठों पर सत्यता और मन में पवित्रता हो तो हर काम खुद ही आसानी से बनता चला जाएगा..*

Monday, June 8, 2020

चरित्र

💐चरित्र हमारा वो व्यवहार नहीं है जो हम दूसरों के सामने दिखाते हैं..व्यवहार तो हर परिस्थिति, हर इंसान के सामने बदलता ही रहता है..एक इंसान हमारे सामने कुछ और होता है..किसी और के सामने कुछ और..चरित्र वो होता है जो हम अकेले में सोचते हैं..हमारे अपने विचार ही हमारा चरित्र होते हैं..बिना अहंकार को समाप्त किये हमारा मन पवित्र कैसे हो सकता है ? अच्छे विचार शेअर करना और लाइक करना और अच्छे विचार अपने जीवन में उतारना दोनों में बहुत अंतर है..अफ़सोस हर इंसान यही सोचता है कि दूसरों में सुधार की ज़रूरत है..उसमें नहीं..अपनी गलती किसी को नज़र नहीं आती..इसीलिये शायद दूसरों को दुख देने में ज़रा भी नहीं हिचकिचाता..बस अपनी ज़िन्दगी में सुकून होना चाहिए..सही मायने में चरित्रवान होने के लिये अपनी कमियों को सुधारकर निरंतर अच्छा बनने का प्रयास करते रहना पड़ता है..सिर्फ़ दिखावे के लिये अच्छा बनना शायद बुरा होने से भी बुरा है 😊🙏

नारी शक्ति के लिये आवाज़ #मणिपुर

 'यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता' जहाँ नारी की पूजा होती है वहाँ देवता निवास करते हैं। यही मानते हैं ना हमारे देश में? आजक...