Thoughts on life, psychological and social problems along with their possible solutions
Anugoonz
Sunday, June 28, 2020
Anxiety of Exam Results among children & Parents' Responsibility
Saturday, June 27, 2020
दहेज़ प्रथा (Dowry System)
Friday, June 26, 2020
जीवन एक सुंदर उपहार है
ईश्वर हमारे हृदय में है (God resides in our Hearts)
ईश्वर मंदिर मस्जिद चर्च में नहीं बसा है..अगर होता तो वहाँ जाने वाले सभी लोग अहंकार रहित हो जाते..ईश्वर तो हमारे हृदय में है..हमारा अहंकार रहित प्रेम से भरा मन ही ईश्वर का रहने का स्थान है..हम क्यों नहीं अपने ईष्ट देवों के सुंदर निश्छल चरित्र को अपने भीतर आत्मसात कर पाते..सिर्फ दीया बाती करने से आसपास उजाला नहीं होता..अपने मन मंदिर में प्रेम,करुणा,दया,सहानुभूति रुपी ईश्वर को स्थापित करके कहीं भी प्रकाश किया जा सकता है..हमारे मन, वचन, कर्म से किसी की आत्मा को ठेस ना पहुंचे वास्तव में यही धर्म की व्याख्या है...सुप्रभात..जय श्री राधे कृष्ण 🙏💐♥️
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English Translation :-
God is not situated in the temples, mosques or churches..If it were, then all the people who went there would be Egoless ..God is in our hearts..Our egoless love filled heart and soul is the real place of God..Why we are not being able to imbibe the beautiful innocent characters of our Gods..Just by lighting wick there is no light around..filling our hearts with love, compassion, kindness and empathy, sympathy we can spread our light everywhere by creating temple anywhere. Real interpretation of any religion is that nobody hurts anyone's soul by their thoughts, words and deeds..Good Morning..Jai Shri Radhe Krishna 🙏💐 ♥ ️Thursday, June 25, 2020
ज़िन्दगी का खूबसूरत पाठ - एक लघु कथा
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ज़िन्दगी कैसी- जैसी देखो वैसी
Wednesday, June 24, 2020
शिक्षा का उद्देश्य - जिज्ञासु प्रवृति को जन्म देना ( एक लघु कथा)
*दमन कभी भी सही नहीं*
Sunday, June 21, 2020
क्यों ना निष्पक्ष होकर सिर्फ सुन लिया जाए
*क्या होगा अगर कोई खुद को खुलकर शेयर कर लेगा तो..पूरी तरह से किसी को सुने बिना कोई भी फैंसला सुना देना क्या निष्पक्ष होना है..? क्या होगा अगर हम भी कभी अपने व्यवहार के लिए क्षमा मांग लेंगे तो ? अपने अहंकार को छोड़ कर ये समझने का प्रयास करेंगे कि सामने वाला भी तो हमारे गलत व्यवहार के बावज़ूद हमारा साथ देना चाहता है..हमारे गुस्से के बाद भी सिर्फ प्रेम है उसके मन में और हम हमारे अहं में उसे खुद को व्यक्त करने का मौका भी नहीं दें सकते..क्या डर है..? यही कि हम गलत साबित हो जाएंगे..गलत साबित ना हो जाएँ इसलिए हम उसी को कसूरवार ठहराते जाएंगे..क्या हो जाएगा अगर हम गलत साबित हो भी गए तो..कम से कम उसका दिल तो हल्का हो जाएगा..एक मानसिक बोझ जो वो अपने अंतर्मन में लेकर बैठा है वो उतर जाएगा..अहंकार दिखाकर रिश्ते तोड़ने से अच्छा है प्रेम और सहानुभूति दिखाकर रिश्तों को समय देकर उन्हें निभाया जाए..हमारे जीवन की हर जटिलता हमें सरल और सहज बनाने के लिए हैँ..क्यों ना एक बार निष्पक्ष होकर अपनों को सुन लिया जाए.*✍️✍️ अनुजा कौशिक *
Saturday, June 20, 2020
*चलते रहना ही जीवन हैं*
Thursday, June 18, 2020
अपनों का दें साथ.. सुनकर समझकर
Sunday, June 14, 2020
Friday, June 12, 2020
Wednesday, June 10, 2020
संवाद होना चाहिये
सकारात्मक सोच ज़रूरी है
Monday, June 8, 2020
चरित्र
Friday, June 5, 2020
Thursday, June 4, 2020
नारी शक्ति के लिये आवाज़ #मणिपुर
'यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता' जहाँ नारी की पूजा होती है वहाँ देवता निवास करते हैं। यही मानते हैं ना हमारे देश में? आजक...