Thoughts on life, psychological and social problems along with their possible solutions
Anugoonz
Tuesday, March 8, 2022
Monday, March 7, 2022
सच्ची उपलब्धि क्या है - अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस विशेष
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर कुछ सोच रही थी तो एक विचार आया कि कितना संघर्ष पूर्ण होता है एक महिला का जीवन। घर से लेकर ऑफिस तक काम का बोझ थका देता है फिर भी माथे पर कोई शिकन नहीं। लेकिन आज मैं बात करना चाहती हूँ उन महिलाओं को लेकर जिनके ऊँची उड़ान भरने के बहुत सारे सपने होते हैँ और वे इसके लिए पूर्ण रूप से काबिल भी होती हैँ परन्तु कभी कभी उन्हें अपने सपनों की कुर्बानी देनी ही पड़ती है या यूं कहें कि मुश्किल फैंसला लेना होता है। आसान नहीं होता ये सब, इसके लिए बहुत बड़ी सोच चाहिये। लेकिन फिर भी प्रयास करते रहना चाहिये खुद की आत्मसंतुष्टि के लिए।
ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी हुआ।पूरी तरह से काबिल होने के बावज़ूद मुझे कई बार पारिवारिक़ ज़िम्मेदारियों के चलते ये मुश्किल् फैंसला लेना पड़ा। ऐसा नहीं है कि जॉब नहीं मिली। बहुत अच्छी अच्छी जॉब मिली, थोड़े से दिन करके फिर से छोड़ देनी पड़ी। कभी कभी थोड़ी खीज़ सी हुई ,बहुत सारी महत्वाकक्षांयें थीं जीवन की। परन्तु कभी पढ़ाई करनी नहीं छोड़ी। कुछ पढ़ना, कुछ लिखना, सामाजिक मुद्दों पर लिखकर अपनी आवाज़् उठाना, काउंसलिंग करना, किसी समाज सेवी संस्था के साथ जुड़कर काम करना, सेमिनार,वर्कशॉप् में भागीदारी लेना..ये सब बहुत संतुष्टि दे रहे थे। लगा जैसे यही जीवन का उद्देश्य है। मेरे द्वारा की गयी काउन्सलिंग से लोगों को सुकून मिला। मेरे लेखन के लिए प्रोत्साहन मिला, कई बार अखबारों में, मेगज़ीन्स में, किताब में मेरी कविताएं छपी, नारी सशक्तिकरण के लिए लिखी एक कविता के लिए *नारी गौरव सम्मान* मिला। दिल्ली और हैदराबाद की दो संस्थाओं द्वारा महिला दिवस पर अवार्ड के लिए चयन हुआ। सामाजिक मुद्दों पर बनाये गये वीडियोज पर प्रशंसा मिली और इसके साथ ढेर सारी आत्मसंतुष्टि,आत्मविश्वास और आंतरिक खुशी।
किसी ने पूछा कितने पैसे कमा लेती हो ये सब करके। मैने उत्तर दिया - कुछ नहीं सिर्फ अवार्ड, सर्टिफिकेट्स और खुशी।
*फिर क्या फायदा ऐसी उपलब्धि का* सामने से उत्तर आया।
मैने कहा *मैने जीवन में कमाकर भी देखा मगर परिस्थितियों के साथ संतुलन बनाते बनाते अगर आप बिना कमाए भी कुछ प्राप्त करते हैँ तो ये आपके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि होती है और इसके साथ साथ टेलेंट भी बेकार नही जाता*
अक्सर समाज के लोग घर पर रहने वाली महिलाओं को कमतर आँकने लगते हैँ या खुद महिला ही आत्मविश्वास की कमी महसूस करने लगती है। परन्तु ऐसा नहीं है अगर आपके जीवन के खर्चे सुचारु रूप से चल रहे हैँ तो छोटी छोटी उपलब्धियां ही खुशी का कारण बन सकती हैँ। हमें बस अंदर से अच्छा महसूस होना चाहिये। जिसे जिसमें संतुष्टि मिले उसे उसमे खुश रहना चाहिये क्योंकि एक संतुष्ट और खुशी से भरा मन ही सुंदर और खुशहाल जीवन का आधार हो सकता है। और खुशहाल जीवन एक सुखी परिवार का और सुखी परिवार एक सुंदर उल्लासपूर्ण समाज का। यही है सबसे ऊँची उपलब्धि।
आप क्या सोचते हैँ इस बारे में? व्यक्त कीजियेगा।✍️ अनुजा कौशिक
नारी शक्ति के लिये आवाज़ #मणिपुर
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