मुझसे आखिर रहा नहीं गया और पूछ ही लिया, "बेटा, डर नहीं लगता क्या आपको..इतनी गहराई में कुछ हो गया तो..किसलिए करते हो ऐसा? "
जवाब मिला, "आंटी जी पैसे ढूंढ़ने के लिये हम गंगा नदी में छलांग लगाते हैँ..ये हमारा रोज़ का काम है.. प्रतिदिन लोग गंगा जी में पैसे फेंकते हैँ और हम ढूंढ कर निकाल लाते हैँ" और उसने एक रुपये का सिक्का मुझे खुश होते हुए दिखाया...
एक बार को मन बहुत बेचैन हुआ और व्यथित भी. क्या हम इंसान इतने भावनाहीन हो गये हैँ..क्या इतने भी संवेदनशील नहीं रहे हम कि अपने साथ साथ दूसरे इंसानों का दुख दर्द भी समझ सकें..पूजा प्रार्थना तक तो ठीक है पर जहाँ तक चंद सिक्कों की बात है वहाँ हमें ये समझना चाहिये कि ये रूढिवादियाँ कि सिक्के डालने से मनोकामनायें पूर्ण होती हैँ ये सब व्यर्थ हैँ..सिक्के तो गंगा की तलहटी में जाकर बैठ जाते हैँ और किसी काम के नहीं रहते..उन्हें अगर ज़रूरतमंदों को दान किया जाए या किसी भूखे का पेट भर दिया जाए.. किसी के चेहरे पर मुस्कुराहट बिखेर दी जाए..शायद इससे बड़ी पूजा कोई और नहीं..हम सभी ईश्वर के अंश हैँ और एक दूसरे का ख्याल रखना..ज़रूरतमंदों की मदद करना हमारा फर्ज़ है..उस दिन मुझे सच में उन बच्चों के लिये सहानुभूति महसूस हुई.. सरकार को भी उनकी मदद करनी चाहिये और कोई सख्त कदम भी उठाने चाहियें ताकि छोटे छोटे बच्चे चंद सिक्कों के लिये अपनी जान जोखिम में ना डाल सकें..बच्चों के लिये कानून तो ढेर सारे बनें हैँ पर उनकी अवहेलना सरे आम हो रही है.. आपकी क्या राय है इस बारे में..ज़रूर लिखियेगा... ✍️अनुजा कौशिक
सटीक आंकलन 👌👌
ReplyDeleteThanks
Deleteसटीक आंकलन 👌👌
ReplyDeleteYes we have to change our minds upon these types of stuff
ReplyDeleteThanks sir
Deleteआपकी बात बिलकुल सही है भाभी। दरअसल नदी के जल में सिक्का डालने की परम्परा काफी पुरानी है। पुराने समय में तांबे अथवा पीतल के सिक्के बनते थे और ये धातुएं जलब्जी अशुद्धियों को दूर करती थीं। इसलिए लोग नदी में सिक्का डालते थे क्योंकि तब पीने के लिए भी नदी के पानी का प्रयोग होता था। किन्तु बहुत से लोग इसका कारण जाने बिना आज भी इस प्रथा को मानते हैं जो कि गलत है।
ReplyDeleteYes.. thanks
Deleteपहले सिक्के धातु के होते थे ।यह परंपरा हमारे पुरखों नहीं इसलिए बनाई थी जिससे कि पानी साफ रहे। परंतु वक्त के साथ बदलाव की जरूरत है आजकल धातु के सिक्के नहीं बनाए जाते परंपरा का कोई औचित्य नहीं उसे छोड़कर वक्त के अनुसार पैसे का सदुपयोग करना चाहिए।
ReplyDeleteबहुत सुंदर आकलन किया है आपने अनुजा.....
Thanks di
DeleteBilkul sahi..
ReplyDeleteThanks ji
DeleteVery nice ✌✌
ReplyDeleteVery well written.. Keep it up 👍
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