अब बात करते हैँ आत्महत्या की घटनाओं की। हम हर मुद्दे पर बात करना चाहते हैँ लेकिन बात जब ज़िंदगी मे तनाव, डिप्रेशन ,उदासीनता या आत्महत्याओं की आती है तो नेगेटिव फीलिंग्स का बहाना बनाकर अपना मुंह मोड़ लेते हैँ।बातें हम बड़ी बड़ी करते हैँ लेकिन जब अपना कोई नज़दीकी जब इस सबसे गुज़र रहा होता है तो सब उससे नेगेटिव कहकर किनारा कर लेते हैँ। अपनी बात कहने के लिए और दूसरों की बातें सुनने के लिए बहुत साहस चाहिए होता है। आखिर हमारी शिक्षा हमें सिर्फ धार्मिक ही क्यों बनाती है आध्यात्मिक क्यों नहीं ? आध्यात्मिकता हमें ज़िंदगी के हर पहलू के साथ तालमेल बैठाना सीखाती है। यह बताती है हमें कि मानवता सबसे उच्च कोटि का मूल्य है और प्रेम भाव और हमदर्दी सबसे उत्कृष्ट भावना। हम खुलकर बात कह पाते हैँ और अच्छे श्रोता बन पाते हैं। आत्महत्याओं और जीवन के प्रति उदासीनता को रोका जा सकता है यदि हम एक दूसरे के बारे में बात ना करके एक दूसरे से बात करें।गलत राय बनाने से पूर्व समझने का प्रयास करें।
हम अपने इष्टदेव को पूजते हैँ लेकिन उनकी विशेषताओं से क्या कुछ सीख पाते हैँ? श्री गणेश जी अब कुछ दिन एक सदस्य की तरह घर में रहेंगें। सिर्फ दिया बाती ना करके ध्यान मग्न होकर उनकी विशेषताओं को आत्मसात करने की कोशिश करें हम। अच्छे श्रोता बनें, सरल बनें तो कोई हमारे आसपास आत्महत्या नहीं करेगा, कोई जीवन के प्रति उदासीन ही नहीं होगा। हम आराधना के वक्त एक साथ बैठें और प्रण करें कि कोई भी हमारे रहते अकेला महसूस नहीं करेगा। हम खुद भी मुस्कुराते रहें और दूसरो को भी मुस्कुराने की वजह दें तभी हमारे इन श्री गणेश् चतुर्थी जैसे पावन त्योहारों की सार्थकता होगी।
जय श्री गणेश...आप सभी को श्री गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ...🙏✍️ अनुजा कौशिक
Nice 👍🏻
ReplyDeleteWell written/ explained on critical topic .
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