Anugoonz

Thursday, June 3, 2021

ईश्वर की दूरदर्शिता

 


ये सब पेड़,पौधे,फूल,पत्तियां,ये नदियाँ,पहाड़,पशु पक्षी और हम इंसान ये सब ईश्वर के होने का प्रमाण तो हैँ वरना इतनी विविधता कैसे होती इस जग में। जिंदगी और  मौत भी नियम है प्रकृति का। संतुलन बनाये रखना शायद ज़रूरी है। और अब ये कोरोना इसे चाहे हम राक्षस की संज्ञा दे या फिर देवदूत की। सब हमारी सोच के ऊपर निर्भर है। हमारे पुराणो में भी व्याख्या है कि जब धरती पर पाप बढ़ने लगता है ,अहंकार बढ़ने लगता है तो ईश्वर या तो खुद प्रलय को अंजाम देते हैँ या फिर अपने देवदूत भेज देते हैँ सब सही करने के लिए। हम इंसानों को लगता है कि इंसानों पर बहुत अन्याय हो रहा है लेकिन मेरे विचार में शायद नहीं। हम इंसान भूल गये थे कि हम मालिक नही हैँ मेहमान हैँ कुछ दिन के। और ईश्वर किसी मंदिर, मस्जिद ,चर्च ,गुरूद्वारे में नही वो हमारे भीतर् है हमारे व्यवहार में, हमारे शुद्ध् आचार विचार में। अगर गहनता से हम जीवन के इस मर्म को समझें तो संसार में जब पाप बढ़ता है तो उसके बुरे प्रतिफलों से पुण्यात्माओं को भी कष्ट सहना पड़ता है। तभी तो अच्छे थे या बुरे कुछ नहीं दिखा इस कोरोना को। जन्म मरण एक चक्र है। जब तक हम प्राणी एक दूसरे के अंदर ईश्वर का दर्शन नहींं करेंगे..जब तक हम प्रेम के महत्व को नहीं समझेंगे..जब तक एक दूसरे के लिए निस्वार्थ भावनाएं नहीं रखेंगे तब तक ऐसी महामारी आती हीं रहेंगी और ये प्राणी जन्म लेते रहेंगे और मरते रहेंगे। गहराई से समझें तो कितनी दूरदर्शिता है ना ईश्वर की 🤔 पता नहीं हम इंसान कैसे और कब समझ पाएंगे...चिंतन का विषय है...आपके क्या विचार है व्यक्त् कीजियेगा ✍️ अनुजा कौशिक 😊🙏

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