धैर्य और सहनशीलता कोई कमज़ोरियाँ नहीं हैँ ये तो शक्तियां हैँ जो इंसान को विपरीत परिस्थितियों में भी आशावान बनाये रखती हैँ और हम कई गलत फैंसले लेने से बच जाते हैँ लेकिन आजकल लोगों में शायद ये दो शक्तिशाली गुण बचे ही नहीं..हर कोई उतना ही रिश्ता निभाना चाहता है जितना किसी से मतलब सीधा हो सकता है..बस खुद को श्रेष्ठ समझने की गलतफहमी में अक्सर इंसान भूल जाता है कि क्या गलत है उस पर बात करनी थीं..कौन गलत है उस पर नहीं..क्या इतनी भी सहनशीलता नहीं होती इंसान में कि थोड़ा समय देकर एक दूसरे के विचारों को सम्मान दिया जाए..सुना जाए..पर इतना धैर्य कहाँ होता है सभी में..मित्र वो नहीं होते जो हर वक्त आपकी प्रशंसा ही करते जाएँ फिर चाहे हम कितने भी गलत क्यों ना हों..एक अच्छा और सच्चा मित्र वही जो हमें हमारे मुँह पर हमारी गलती बताकर हमें गुमराह होने से बचाये..धैर्य और सहनशीलता तो होनी ही चाहिये..कितने उदाहरण हैँ हमारे ग्रंथों में...हमारे प्रिय श्री राम चंद्र जी की सहनशीलता और धैर्य ने कितने रिश्तों को संजोये रखा..श्री लंका जाते वक्त अगर हनुमान जी धैर्य नहीं दिखाते तो इतना बड़ा समुद्र लाँघ पाना नामुमकिन था..धैर्य वास्तव में हमें विपरीत परिस्थितियों में मुश्किलों को सहन करने की शक्ति देता है और हमें बहुत सारी नकारात्मक प्रवृतियों जैसे क्रोध और ईर्ष्या से बचाये रखता है..धैर्य और सहनशीलता हमारे चरित्र के मज़बूत स्तंभ हैँ..जो धैर्यवान और सहनशील होता है वो कतई बेवकूफ नहीं होता..आप क्या कहते हैँ इस बारे में ?
Well written
ReplyDeleteWonderful
ReplyDeleteFabulous
ReplyDeleteFabulous
ReplyDeleteThanks all
ReplyDeleteBeautiful..👌👌
ReplyDeleteWell done and beautiful thinking ����☺��
ReplyDeleteRight
ReplyDeleteAnd solid
ReplyDeleteThanks all
ReplyDelete