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Wednesday, September 8, 2021

रोहतक हत्याकांड - मेरे दृष्टिकोण से ( बच्चों में बढ़ती आपराधिक प्रवृति और संस्कारहीनता)




फेसबुक पर कई दिन से एक समाचार दिखाई दे रहा है।  रोहतक ( हरियाणा) में एक 19 वर्षीय बच्चे ने अपने पूरे परिवार की हत्या कर दी सिर्फ इसलिए कि उसके माता पिता उसे समझ नहीं पा रहे थे और उसकी गलत आदतों के कारण उससे बातचीत और पैसे देने भी बंद कर दिये थे। 

हमें एक माता पिता होने के नाते इस वारदात से एक महत्वपूर्ण सीख मिलती है। इस घटना को थोड़ा अलग नज़रिये से देखते हैँ। लड़के का पिता पेशे से प्रोपर्टी डीलर और पहलवान था। हत्या की खबर देखने के बाद जब मैने उनके परिवार की इंस्टाग्राम आई डी खंगालने की कोशिश की तब पाया कि यहाँ तो किशोर बच्चों की परवरिश में ही कुछ कमी है। परिवार में प्रेम तो दिखाई दे रहा है पर अधिकतर हर तस्वीर में बंदूक नज़र आ ही जाती है। एक जन्मदिन के अवसर पर केक के ऊपर भी डिज़ाइन बन्दूक का ही बनवाया जाता है। 18-19 की उम्र में बच्चे को हौंडा सिटी की चाबी थमा दी जाती है। उसे महंगे महंगे होटलों में रहने की इज़ाज़त भी दी जाती है। फिर बन्दूक और पैसा ही पूरे परिवार की मौत का कारण बन जाता है। 

इस केस से पता चलता है कि बच्चों और माता पिता में खुलकर बातचीत नहीं हो पाती थी। अक्सर हम माता पिता यहाँ पर चूक जाते हैँ बच्चों से जब बात करनी होती है तो उनसे बातचीत बंद कर दी जाती है और फिर पता ही नहीं चल पाता कि बच्चे के मन में आखिर क्या चल रहा है। 

किशोरवस्था एक ऐसी उम्र होती है जिसमे या तो बच्चा पूरी तरह से बिगड़ जाता है या बहुत संस्कारी हो जाता है। इस केस में तो बच्चे को समझने के लिए अच्छा संवाद रखना ज़रूरी नहीं समझा गया बल्कि उसे खुश रखने के लिए महंगे तोहफ़े दे दिये गये। अय्याश बनने का पूरा सामान था। दिल में फिर रिश्तों के प्रति प्यार कहाँ से पनपना था। धन दौलत और बंदूक ही दिखेंगी तो फिर उनके प्रति ही रुझान होगा ना। शायद यही *मै* वाली फीलिंग बच्चे को अपराध करने को मज़बूर कर गयी। जैसा माहौल मिलेगा वैसा ही तो व्यवहार बनेगा। 

किशोरावस्था में परिवार की तरफ से इतनी आज़ादी ? कहाँ जा रहा है, क्यों जा रहा है, किससे मिल रहा है, क्या सीख रहा है, इस बारे में क्या माता पिता का कोई नियंत्रण नहीं था? क्या इन सभी बातों से परिवार के संस्कारों पर सवाल नहीं उठते? क्या बचपन से ऐसी नींव थी कि बच्चे ने अपनेपन से ज्यादा बन्दूक और धन दौलत का इस्तेमाल होते हुए देखा था? क्या हम माता पिता सोचते हैँ कि हम जो घर में , शादी समारोह में,पार्टी में जिस तरह का सोशल व्यवहार करते हैँ वैसा ही ठीक हमारे बच्चे भी जाने अनजाने सीख रहे होते हैँ? कहाँ जा रहा है हमारा समाज एक बच्चे के हाथों उसके ही जन्मदाताओं का और खून के रिश्तो का कत्ल और उसके मन में ज़रा भी ग्लानि उतपन्न नहीं हुई? 

बहुत आहत हूँ ये सोचकर कि हमारे बच्चे जो भविष्य में आदर्श नागरिक बनने चाहियें वे आपराधिक गतिविधियों में लिप्त हो रहे हैँ। यह बात बस सिर्फ एक घर की कहानी मानकर नहीं रुकनी चाहिए। हमें विचार करना चाहिए कि हम भविष्य में कैसा समाज चाहते हैँ और हमारा अपना बड़ों का व्यवहार कैसा होना चाहिए क्योंकि हम ही अपने बच्चों के रोल मॉडल होते हैँ और कभी कभी जाने अनजाने प्यार या संवाद की कमी के चलते उनके गुनहगार भी बन जाते हैँ। 

रोहतक के इस केस में भी ऐसा ही हुआ है। खराब पेरेंटिंग, किशोरवस्था में माता पिता का अपने बच्चे की गतिविधियों का पता ही ना होना, बच्चे की खराब संगति जिस पर माता पिता ने शुरु से ध्यान नहीं दिया। इन सभी मिले जुले कारणों ने उस बच्चे को अपराधी बना दिया। 

यहाँ हमारी शिक्षा प्रणाली पर भी प्रश्न उठते हैँ । क्या स्कूली और कॉलेज लेवल की शिक्षा के बावज़ूद भी वो बच्चा शिक्षा का असली मतलब नहीं समझ पाया ? क्या हमारी शिक्षा सिर्फ किताबी ज्ञान,पैसे और नाम कमाने तक ही आधारित है? क्या हमारी शिक्षा दया, करुणा, सहानुभूति, और मानवता जैसे सिद्धांतों को दरकिनार कर चुकी है? क्या हमारे स्कूल कॉलेज सिर्फ पैसा कमाने और पैसा कमाना सिखाने तक ही सीमित हैँ। पॉजिटिव एनर्जी कहाँ से आएगी तब समाज में, जब सब स्वार्थ के कटघरे में खड़े हो जाते हैँ? 

इस वारदात के बाद क्या आपको नहीं एहसास होता कि पैसा कमाना ज़रूरी है पर मानवता को नज़रअंदाज़ करके नहीं। इस पृथ्वी पर अब सफल लोगों की इतनी ज़रूरत नहीं है जितनी काउन्सलर्स की है,सामाजिक कार्यकर्ताओं की है,नैतिक शिक्षा की है। हमारे पुराणों और ग्रंथों को शिक्षा में जगह देने की है। नहीं तो ये समाज संवेदनाहीन होकर ही रह जायेगा भी फिर अभिषेक जैसे पता नहीं कितने बच्चे आपराधिक प्रवृतियों के शिकार हो जाएंगे। 

शायद अभिषेक को बाद में एहसास हो कि उसने क्या कर दिया है पर तब तक सिवा पछतावे के कुछ हाथ नहीं लगेगा। उसके माता पिता,बाकी दोस्त और हमारी अच्छी शिक्षा ऐसा सब होने से रोक सकते थे पर अब आगे के लिए सिर्फ सीख ली जा सकती है। पूरे परिवार के लिए मै सहानुभूति व्यक्त करती हूँ। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे। ॐ शांति 🙏

कमेंट करके बताना आप कितने सहमत हैँ मेरे विचारों से और आप क्या सोचते हैँ ? ✍️ अनुजा कौशिक                                                                                                                                 

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5 comments:

  1. Bahut se ache tarike se vyakt kiya

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  2. well described the issue ...really painful incident

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  3. Totally agree with you. hamari jimmedari hai k hamlog samaj ko achche insaan de,success khud untak pahuch jayegi. Sochne ka vishay hai ye k kya ham sahi parenting karrahe hain !!

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