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Monday, August 9, 2021

ओलम्पिक गेम्स (Olympic Games)


एक बार त्योहार के दौरान हरियाणा जाना हुआ। शाम के समय अधिकतर बच्चों के हाथ में कुछ ना खेल से सम्बन्धित सामान। कोई हाकी लिए हुए , कोई बेडमिंटीन, कोई क्रिकेट बैट, कोई एथलेटिक्स के लिए तैयार। कोई बच्चा पढ़ाई में थोड़ा सामान्य हो तो उसे गेम्स में डाल दो। किसी को कुश्ती सिखा दो। मतलब पढ़ाई से ज्यादा गेम्स का भूत सवार। जिससे बात करो बस हर एक के मुह पर एक ही बात " उसकी छोरी बेडमिंटन में गोल्ड मैडल लाई, उसका छोरा हॉकी और उसका कुश्ती लड़ता है।"

मेरे विचार में हर घर में एक खिलाडी तो पक्का होगा ही। एक ने तो इतना भी कह दिया " नहीं पढ़ेगा तो खेलाँ मैं भेज दूंगा।" ये एक घर की नहीं हर घर की कहानी है। अब ओलिंपिक्स के बाद तो और भी ज्यादा खेलों की लोकप्रियता बढ़ गयी होगी।

नीरज चोपड़ा के गोल्ड जीतने के बाद तो माता पिता की अपेक्षा अपने बच्चों के प्रति और भी बढ़ गयी होंगी। उनकी जीत की खुशी से पूरा देश झूम उठा पर हर बच्चा गोल्ड ले आये ये भी तो ज़रूरी नहीं। 

खेलों में अव्वल आने की अंधी दौड़, परीक्षा में अव्वल आने के लिए प्रतिस्पर्धा, जॉब लग जाए तो और अधिक पाने की लालसा, अतिरिक्त करने की चाह। सभी बच्चे अव्वल नहीं आ सकते..एवरेज़ होना भी अच्छा है ये कब समझेंगे हम। हर बच्चा किसी ना किसी क्षेत्र के लिए बना ही होता है।

सबसे ज्यादा ज़रूरी है खुशी। हमने जितना ज्यादा भीड़ गोल्ड पाने वाले नीरज चोपड़ा के घर देखी उतनी और किसी विजेता के घर नहीं देखी। हम अव्वल आने वाले को ही प्रोत्साहित करते हैँ और जो थोड़ा निचले पायदान पर रह जाए उसे इतनी तवज़्जो नहीं दे पाते। 

आखिर हम एक चीज़ भूल रहे हैँ दुनियाँ में सफलता से ज्यादा ज़रूरी है एक दूसरे के साथ सद्भावना की ज़रूरत। हर इंसान अपने आप में गोल्ड है यदि वो खुद को पहचानकर अपनी पसंद के क्षेत्र में अपना कॅरियर बनाये और सबसे बड़ी बात अपने अंदर के सुंदर इंसान को कभी भी इस प्रतिस्पर्धा की दौड़ में भटकने ना दे। हर इंसान , हर बच्चा ईश्वर की बनाई हुई अव्वल दर्ज़े की कृति है। हमें एक दूसरे का सम्मान करना आना चाहिए यही है सबसे ऊंचा पायदान। 

अपनी राय ज़रूर व्यक्त कीजियेगा। ✍️  अनुजा कौशिक


5 comments:

  1. 💯 Absolutely true. I agree with all the aspects you've written and discussed out here. Har ek bacha unique hota hai aur Use apni field ko choose karne ka right mil paaye. Now , the society is at least evolving through this awareness and Hopefully, There's more to come.

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  2. Every child has unique character..just polish it

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  3. Sahi kaha aapne bhabhi.Healthy competition is good for encouraging but if it creates mental pressure,whole personality of an individual is affected in a negative way.lets accept everyone around us as they are,and let's not expect too much which could harm someone's confidence.

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