Anugoonz

Sunday, August 1, 2021

जिसका मन पवित्र बस वही है मित्र



दोस्ती सिर्फ एक शब्द नहीं खूबसूरत भाव है। जिसका मन पवित्र बस वही है मित्र। मित्रता करना बहुत आसान और निभाना बहुत मुश्किल। एक सच्चा मित्र ही दुविधाओं,चिंताओं और अवसाद से निकालकर जीवन में उत्साह भर देता है। विश्वास का रिश्ता है मित्रता। एक सच्चा मार्गदर्शक,हितैषी होता है मित्र। हमारा खुश और दुखी रहना इसी बात पर निर्भर करता है कि हमारा मित्र कौन है। 

करण ने दुर्योधन से मित्रता की तो कई बार धर्म के विरुद्ध भी जाना पड़ा और पाप का भागीदार बनना पड़ा। सुदामा ने श्री कृष्ण से दोस्ती की तो उनका उद्धार हो गया। अर्जुन ने इतनी बड़ी सेना को छोड़कर श्री कृष्ण को मित्र बनाया तो उन्हे सारथी के रूप में ईश्वर मिले और गीता का अद्भुत ज्ञान मिला।श्री राम को सुग्रीव दोस्त के रूप में मिले तो जीवन बदल गया..हनुमान जी जैसे भक्त मिले। बहुत सुंदर उदाहरण और भी वर्णित हैँ शास्त्रो में। 

मित्रता  का भाव हर रिश्ते को दिव्य बना देता है। मेरे विचार में हमें खुद का भी एक अच्छा दोस्त होना चाहिए क्योंकि हमारे अंदर का दोस्त ही तय करता है कि बाहर की दुनियां में मैत्री किससे करनी है।झूठी प्रशंसा या निंदा करने वाला मित्र नहीं हो सकता। सच्चा मित्र वही जो सच की ओर ले जाए। 

रिश्ता चाहे वो दोस्ती का हो, माता पिता, पति पत्नी, प्रेमी प्रेमिका, भाई बहन  या कोई और रिश्ता...बिना मैत्री भाव के अधूरा है। मैत्री भाव से ही सच्चा प्रेम पनपता है और सच्चा प्रेम स्वार्थ से परे होता है । ✍️ अनुजा कौशिक

6 comments:

  1. A beautiful relationship explained so beautifully ma'am

    ReplyDelete
  2. Totally agree with you Bhabhi. Very nicely expressed. Happy friendship day. 👍

    ReplyDelete
  3. Well said..👌👌👌👏👏👏

    ReplyDelete
  4. Friendship never end.well written 👌👌

    ReplyDelete

नारी शक्ति के लिये आवाज़ #मणिपुर

 'यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता' जहाँ नारी की पूजा होती है वहाँ देवता निवास करते हैं। यही मानते हैं ना हमारे देश में? आजक...