सच्चे इंसान को कुछ याद नहीं रखना पड़ता उसे सब याद रहता है..सच में जीना आसान नहीं होता..इसका सामना सभी नहीं कर सकते क्योंकि उसके लिये हमें अपने अंदर के डर और असुरक्षा के विरुद्ध जाना होता है..लाज़वाब रिश्ते चाहियें तो गहराई से तो निभाने ही पड़ेंगें..फिर उनमें त्याग भी होगा..समर्पण भी और प्रेम भी..और जब हम जीवन के उद्देश्य के प्रति जागरूक हो जाते हैँ तो सिर्फ प्रेम होता है..समझ होती है..हम एक दूसरे के लिये प्रेरणा बनते हैँ..हमारे अंदर का सच और झूठ ही हमारे लिये दुआ और बददुआ बनकर हमारा पीछा करता रहता है..हमें किसी और से तो डरने की ज़रूरत ही नहीं..हम जैसा सोचते हैँ वैसे ही हो जाते हैँ..हमें खुद पर काम करने की सबसे ज्यादा ज़रूरत है..जीवन के जिन अनदेखे पहलुओं से भागते हैँ हम शायद वहीं देखने समझने की ज्यादा ज़रुरत है..वहीं पर है असली समाधान..अंदर से सच्चा होने के लिये खुद को बिल्कुल खाली करना पड़ता है..फिर कोई नकारात्मकता नहीं होगी जीवन में..प्रेम समाधान है और स्वार्थ सबसे बड़ी समस्या..खुद से सच जो बोलता है वास्तव में वह बहुत सुंदर है..सत्यम शिवम् सुंदरम..ॐ नम: शिवाय..जय श्री राधे कृष्ण 🙏♥️💐 अपने विचार ज़रूर रखियेगा ✍️✍️
बहुत सुंदर बात लिखी है आपने मैडम सच तो निष्छलता का प्रतीक है, पवित्रता का निशान है। सत्य को कभी कोई प्रमाण देने की जरूरत नहीं होती है। सच्चे व्यक्ति को जीवन के कई आयामों से गुजरने होते हैं कई बलिदान देने होते हैं, जीवन में कई कठिनाइयां झेलनी पड़ती है, पर इससे उसके सोच में ज़रा सी भी बदलाव नामुमकिन है। सच को अपनाना हर किसी के बस की बात नहीं, सच्चाई तो एक ऐसी दीप की तरह होती है जो निश्चल व्यक्ति के जीवन को रोशनी प्रदान करती है परन्तु बेईमानों के रोम - रोम को जला देता है, इसलिए सच को तभी अपनाइए जब आपमें बलिदान देने की क्षमता हो और हमारी सोच दूसरों के प्रति ईमानदार हो।
ReplyDeleteVery Excellent writing....���� True words and points ��
ReplyDelete100% True
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