Thoughts on life, psychological and social problems along with their possible solutions
Anugoonz
Monday, August 3, 2020
रक्षाबंधन : एक अलग दृष्टिकोण से
रक्षाबंधन एक पवित्र त्यौहार जिसमे बहन अपने भाई की कलाई पर एक पवित्र धागा बाँधकर उससे अपनी रक्षा का वचन लेती है..भाई उसकी रक्षा करने के लिये वचनबद्ध हो जाता है..पुराने समय में द्रौपदी ने श्री कृष्ण को राखी बाँधी थीं तो उन्होंने वक्त आने पर चीरहरण के वक्त उसकी रक्षा की..ऐसे बहुत से उदाहरण आज के समय में भी हो सकते हैँ..पर एक प्रश्न मेरे जेहन में जो अक्सर उठता है आखिर ये रक्षा की ज़रुरत आन ही क्यों पड़ती है? किसने ठहराया नारी को इतना कमज़ोर..क्या वास्तव में नारी इतनी कमज़ोर है? जो नौ महीने एक जीव को गर्भ में रखकर, प्रसव पीड़ा सहन करके जन्म दे सकती है..दिन रात जागकर कष्ट सहकर बड़ा कर सकती है अपने बच्चों को..उसके बावज़ूद पुरुषों के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर काम कर सकती है तो वह कमज़ोर कैसे हो सकती है? सगे भाई बहन की बात अलग है पर इससे हटकर एक सवाल क्या किसी भी औरत को इज़्ज़त देने के लिये उसे बहन जैसा माना जाना ज़रूरी है..क्या दोस्त बनकर किसी औरत की इज़्ज़त नहीं की जा सकती? अगर बहन की रक्षा के लिये रक्षाबंधन का त्यौहार बनाया गया तो मैं पूछती हूँ इस पुरुष प्रधान समाज में एक स्त्री के मन में डर बैठ ही क्यों जाता है..क्यों असुरक्षित महसूस करती है वो खुद को..क्यों विश्वास नहीं कर पाती वो जल्दी से किसी पुरुष पर..कुछ अपवाद हो सकते हैँ पर ये सच है मौक़ापरस्ती अधिकतर पुरुषों की नीयत में है..चरित्रहीनता की उपाधि तो जैसे नारी के लिये ही बनी है..आखिर क्यों नहीं पुरुष अपनी नज़रें ठीक कर लेते जो घूम फिरकर सिर्फ एक स्त्री के शरीर पर ही जा ठहरती हैँ..किसने बनाया इस समाज को पुरुष प्रधान और किस आधार पर? क्या सिर्फ शारीरिक बल ही मज़बूत होने का प्रमाण है? आत्मीयता और प्रेम के आधार पर एक स्त्री कहीं ज्यादा सुंदर और मज़बूत है..भाई बहन के प्रेम तक बात बहुत खूबसूरत है..परंतु जहाँ सुरक्षा की बात है मुझे लगता है कि समय के साथ साथ सोच भी बदले जाने की ज़रुरत है..सारे भाई प्रण लें कि अपनी बहन के साथ साथ इस समाज की सभी स्त्रियों के लिये एक सुरक्षित और सभ्य समाज का निर्माण करेंगें..तभी है रक्षाबंधन जैसे पवित्र त्योहारों की सार्थकता अन्यथा ये सिर्फ एक ढोंग के अलावा कुछ भी नहीं है...✍️अनुजा कौशिक
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नारी शक्ति के लिये आवाज़ #मणिपुर
'यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता' जहाँ नारी की पूजा होती है वहाँ देवता निवास करते हैं। यही मानते हैं ना हमारे देश में? आजक...
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ReplyDeleteThanks
Deleteबहुत ही सुंदर बात लिखी है मैडम आपने।आज हमारा सोच महिलाओं के प्रति ऐसा घिनौना हो गया है जिसे शायद शब्दों में व्यक्त करना मुश्किल हो।हम उनकी सुरक्षा की फ़िक्र करने चले हैं जिनकी आंचल तले समूचा संसार सम्माहित है।
ReplyDeleteThanks
DeleteBahut sundar
ReplyDeleteDil ki chu gabi
Thanks
DeleteAwesome
ReplyDeleteThanks
DeleteWell defined....This is real truth in this world...we should respect women's...
ReplyDeleteThanks
DeleteWa absouletly correct.... Every men and women have equal rights, share and dignity with each other......
ReplyDeleteAmazing thoughts... Keep it up... Your thoughts will surely influence the society❤
ReplyDeleteसही बात कही आपने।यह बात अक्सर मेरे मन में भी आती है और शायद हर औरत के मन में आती होगी। किन्तु आज तक जवाब नहीं मिला।
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