हम कितना भी अच्छा बोलने का प्रयास करें, कितनी भी अच्छी भावनाएं रखें, कितना भी प्रेम दर्शायें..कितना भी सच बोलें, जिन्हें हम अपना समझते हैँ वे हमें सिर्फ उतना ही समझते हैँ जितना वो समझना चाहते हैँ , जितना वो खुद को समझते हैँ। फर्क अगर सोच और दृष्टिकोण का हो तो अनगिनत शब्द भी कोई मायने नहीं रखते।
*जो इंसान खुद के साथ खुलकर बैठ सकता है वो सभी के साथ खुलकर बैठ सकता है। खुद से सकारात्मक बातें कीजिये।* 🤗
Very nice line
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