मुझे बहुत से अपनों ने बहुत बार मुझसे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कई बार बोला कि मै हिंदी में नहीं लिखूं क्योंकि हिंदी पूरे विश्व के लोग नहीं समझ सकते और हमें हमारे लेखन के लिए उतनी राशि भी नहीं मिलेगी जितनी हम अंग्रेजी में लिखकर कमा सकते हैँ। ना मिले तो ना मिले पैसा। मेरे लिए मेरी भावनाओं को व्यक्त करना बहुत ज़रूरी है, मेरा उद्देश्य लोगों को बहुत से ज़रूरी सामाजिक,मानसिक मुद्दों के लिए जागरूक करना है और मै अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति सिर्फ अपनी मातृभाषा हिंदी में ही बेहतर ढंग से कर सकती हूँ। ऐसा नहीं है कि मेरी अंग्रेजी में पकड़ अच्छी नहीं है पर उसमें मुझे अपनापन महसूस नहीं होता या यूँ कहें अंग्रेजी में मुझे अपनी मिट्टी की खुशबू नहीं आती। लोगों की विशेषकर बच्चों की अंग्रेजी और दूसरी विदेशी भाषाओं में बढ़ती रुचि और हिंदी भाषा की तरफ घटता रुझान एक चिंताजनक विषय है। कौन ज़िम्मेदार है इसके लिए ...हम या हमारी शिक्षा प्रणाली या नौकरियों में अंग्रेजी भाषा पर अच्छी पकड़ का ज़रूरी होना। जब बाकी देशों में अपनी मातृभाषा को ही तवज़्जो दी जाती है तो हमारे अपने देश हिंदुस्तान में हिंदी बोलने और लिखने पर शर्म महसूस क्यों ? हिंदी बोलने पर उतना ही गर्व महसूस होना चाहिए जितना अंग्रेजी बोलने पर होता है। कोई भी भाषा किसी की बुद्धिमता को उत्कृष्ट साबित करने का एक ज़रिया नहीं हो सकती। श्रेष्ठता विचारों से आती है किसी भाषा से नहीं। हिंदी भाषा बोलने व लिखने से कोई कमतर कैसे हो सकता है ? हिंदी हमारी मातृभाषा है उसका सम्मान दिल से होना ही चाहिए। इसीलिए मेरे लिए मेरा हर दिन हिंदी दिवस है। मैं गर्व से कहती हूँ
हिंदी मेरी शान है
यही मेरा अभिमान है
जय हिंद और जय हिंदी
ह्रदय में दोनो के लिए सम्मान है। ✍️🇮🇳
Well written mommy. Exquisite!
ReplyDelete👍🏻👍🏻
ReplyDeleteVery nice written
ReplyDeleteबहुत बढ़िया....👏👏👏👌👌🌹
ReplyDeleteBahut sahi kaha aapne bhabhi. Jo Santos hindi me bhavnaayein vyakt karne me hai,English me nahi.
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