मेरे युवा होते हुए बच्चों का पालन पोषण करते हुए महसूस होता है कि आज के युवा में बहुत काबिलियत् है। अगर सही मार्गदर्शन दिया जाए तो वो हमारी पीढ़ी की अपेक्षा ज्यादा जागरूक और प्रोत्साहित है। उन्हें आभास है कि उन्हें जीवन में क्या करना है। क्या पढ़ना है, उन्हें समय का बेहतर प्रबंधन करना आता है।
लेकिन समाज में कुछ युवाओं को जब देखती हूँ, रास्ते से भटकते हुए, नशावृति का शिकार होते हुए, गुमराह होते हुए और कभी कभी आत्महत्या जैसे कायरतापूर्ण कदम उठाते देखते हुए। तब बड़ा मन दुखी होता है।
कहीं ऐसा तो नहीं कि हम अपने युवा को सही मार्गदर्शन नहीं दे पा रहे ? कहीं हमारी अपेक्षाएँ कुछ ज्यादा तो नहीं? मुझे लगता है हम अपने बच्चों को किताबी ज्ञान के साथ व्यवहारिक ज्ञान देने में थोड़ा सा चूक रहे हैँ।
हमारा युवा सीख ही नहीं पा रहा कैसे ज़िन्दगी को बेहतर और साधारण ढंग से जीया जा सकता है..हमारी शिक्षा युवा वर्ग को सिर्फ पैसा कमाने के..झूठी शान के अंधे कुएँ में धकेल रही है.. संस्कार और आदर्श तो जैसे धीरे धीरे पाश्चात्य संस्कृति की भेंट चढ़ते चले जा रहें हैँ.. सहनशक्ति और धैर्य जैसे गुण भी कम होते जा रहें हैँ..जीवन की थोड़ी सी विकट स्थिति देखते ही हमारा युवा आत्महत्या जैसा भयानक कदम उठाने को जैसे तत्पर ही है..जिस उम्र में हमारा युवा समाज और देश के प्रति ज़िम्मेदार होना चाहिये उस उम्र में वह अवसाद और मानसिक तनाव के कारण गुमराह हो रहा है..जीवन में जो भी घटित होता है हम उन्हें उनके पीछे छिपे उद्देश्य को सिखा पाने में क्यों असक्षम हैँ? जीवन का असली उद्देश्य तो अंतर्मन को जागृत करके अपने परिवार, समाज, देश और इस संसार के सभी प्राणियों के लिये सद्भावना रखना है..जब तक जीवन है तब तक इस ब्रह्माण्ड में अपनी सकारात्मक ऊर्जा फैलाना और दूसरों के सुख दुख में सहयोग करना ही इस जीवन की सार्थकता है..
मेरी राय में क्यों नहीं हम अपनी युवा पीढ़ी को समय रहते अपने पवित्र ग्रंथों जैसे महाभारत, भगवद्गीता और रामायण पढ़ने के लिये प्रेरित करते..जिनमें जीवन को संतुलित ढंग से जीने के सारे सुझाव उपलब्ध हैँ..क्यों नहीं प्रेरित करते उन्हें महान लोगों की जीवनियाँ पढ़ने के लिये जिन्होने युवा होते हुए समाज और देश के लिये बहुत बलिदान दिए..त्याग किया..मेरा अनुभव है ये कि अगर बच्चों का दोस्त बनकर उन्हें यह सब सिखाया जाए तो यह सच में काम करता है..सही मार्गदर्शन बहुत ज़रूरी है..
आप क्या सोचते हैँ आज का युवा कैसा होना चाहिए ?✍️ अनुजा कौशिक
well written...Youth are future
ReplyDeleteNice thought....a small idea can change the life of many.
ReplyDeleteReally.. This is the need of this hour to guide our youth in a better way. Well written. 👍
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