बेटी एक ईश्वर का प्यारा सा तोहफा..घर की चहकती चिड़िया, घर की रौनक़, माँ की प्यारी सहेली, पिता की परी और भैया की सच्ची दोस्त..हम मनाते हैं आज के दिन बिटिया दिवस परंतु क्या हम सब जानते हैं इसका महत्व? जानते हैं आप ईश्वर बेटी क्यों देता है? अरे ! वो इसलिए ताकि हम सभ्यता सीख सकें.. हम अपने घर में अच्छे संस्कारों की नींव डाल सकें..हम अपने व्यवहार में शालीनता और सज्जनता का समन्वय कर सकें..एक स्त्री एक बेटी को पाल पोसकर बड़ा करती है तो वो ये भी समझ रखें कि दूसरे की बेटी भी उसी तरह नाज़ से पली बढ़ी है..पुरुष अपने घर में अपनी छोटी सी परी को बचपन की अठखेलियों से लेकर जवानी की दहलीज़ पर कदम रखते देखकर स्वयं के विचारों में संतुलन बनाना सीखें..किसी भी अन्य की बेटी या स्त्री के लिये कोई भी माँ -बहन से संबंधित या कोई और अपशब्द कहने लिखने से पहले ये ध्यान रखें कि अगर उनकी बेटी या घर की किसी महिला सदस्य के लिये ऐसे शब्द प्रयोग किये जाएँ तो कैसा अनुभव होगा..किसी और की बेटी की तरफ गलत नज़र से देखने से पहले ध्यान रहें कि उसकी खुद की बेटी की शारीरिक संरचना भी ठीक वैसी ही है..जो व्यवहार हम खुद के साथ या अपने किसी अन्य परिवार के सदस्य के साथ नहीं देखना चाहते वैसा व्यवहार हम किसी और के साथ भी ना करें...बेटियां नहीं आती हैं सिर्फ पल बढ़कर..लिख पढ़कर पराई हो जाने के लिये.. वो तो आती हैं हमेँ सच्चाई, प्रेम, सहयोग, त्याग और सहनशीलता सिखाने के लिये..पर फिर भी न जाने क्यों ये समाज दोगला है..खुद की बेटी के लिये सब कुछ सभ्य और संस्कारी वातावरण चाहिये और दूसरों की बेटी के लिये अपशब्द या गलत व्यवहार करने से नहीं चूकते बहुत से लोग..बिटिया दिवस का उद्देश्य सिर्फ बेटी के साथ तस्वीरें शेयर करना नहीं है बल्कि सम्पूर्ण नारी जाति के लिये अपने भीतर सम्मान भर लेना है...एक ऐसे समाज का निर्माण करना है जिसमें एक बेटी सुरक्षित रह सके..अपने बेटों को भी अच्छे संस्कार देने हैं ताकि जब वो परिपक्व अवस्था में पहुंचे तो उनके मन में समानता का एहसास हो ना कि ऊँच नीच की तुच्छ भावना का.. यही कहना चाहती हूँ आईये इस बिटिया दिवस हम सभी प्रण लें कि अपने बेटे बेटियों दोनों को एक सम्मानित और संतुलित जीवन देने का प्रयास करेंगे.. ताकि वे बड़े होकर चरित्रवान हों और स्वस्थ और शालीन समाज के भागीदार हों..आपकी क्या राय है इस बारे में? अपने विचारों ज़रूर साझा करें...
Thoughts on life, psychological and social problems along with their possible solutions
Anugoonz
Sunday, September 27, 2020
बेटियां और संस्कार
बेटी एक ईश्वर का प्यारा सा तोहफा..घर की चहकती चिड़िया, घर की रौनक़, माँ की प्यारी सहेली, पिता की परी और भैया की सच्ची दोस्त..हम मनाते हैं आज के दिन बिटिया दिवस परंतु क्या हम सब जानते हैं इसका महत्व? जानते हैं आप ईश्वर बेटी क्यों देता है? अरे ! वो इसलिए ताकि हम सभ्यता सीख सकें.. हम अपने घर में अच्छे संस्कारों की नींव डाल सकें..हम अपने व्यवहार में शालीनता और सज्जनता का समन्वय कर सकें..एक स्त्री एक बेटी को पाल पोसकर बड़ा करती है तो वो ये भी समझ रखें कि दूसरे की बेटी भी उसी तरह नाज़ से पली बढ़ी है..पुरुष अपने घर में अपनी छोटी सी परी को बचपन की अठखेलियों से लेकर जवानी की दहलीज़ पर कदम रखते देखकर स्वयं के विचारों में संतुलन बनाना सीखें..किसी भी अन्य की बेटी या स्त्री के लिये कोई भी माँ -बहन से संबंधित या कोई और अपशब्द कहने लिखने से पहले ये ध्यान रखें कि अगर उनकी बेटी या घर की किसी महिला सदस्य के लिये ऐसे शब्द प्रयोग किये जाएँ तो कैसा अनुभव होगा..किसी और की बेटी की तरफ गलत नज़र से देखने से पहले ध्यान रहें कि उसकी खुद की बेटी की शारीरिक संरचना भी ठीक वैसी ही है..जो व्यवहार हम खुद के साथ या अपने किसी अन्य परिवार के सदस्य के साथ नहीं देखना चाहते वैसा व्यवहार हम किसी और के साथ भी ना करें...बेटियां नहीं आती हैं सिर्फ पल बढ़कर..लिख पढ़कर पराई हो जाने के लिये.. वो तो आती हैं हमेँ सच्चाई, प्रेम, सहयोग, त्याग और सहनशीलता सिखाने के लिये..पर फिर भी न जाने क्यों ये समाज दोगला है..खुद की बेटी के लिये सब कुछ सभ्य और संस्कारी वातावरण चाहिये और दूसरों की बेटी के लिये अपशब्द या गलत व्यवहार करने से नहीं चूकते बहुत से लोग..बिटिया दिवस का उद्देश्य सिर्फ बेटी के साथ तस्वीरें शेयर करना नहीं है बल्कि सम्पूर्ण नारी जाति के लिये अपने भीतर सम्मान भर लेना है...एक ऐसे समाज का निर्माण करना है जिसमें एक बेटी सुरक्षित रह सके..अपने बेटों को भी अच्छे संस्कार देने हैं ताकि जब वो परिपक्व अवस्था में पहुंचे तो उनके मन में समानता का एहसास हो ना कि ऊँच नीच की तुच्छ भावना का.. यही कहना चाहती हूँ आईये इस बिटिया दिवस हम सभी प्रण लें कि अपने बेटे बेटियों दोनों को एक सम्मानित और संतुलित जीवन देने का प्रयास करेंगे.. ताकि वे बड़े होकर चरित्रवान हों और स्वस्थ और शालीन समाज के भागीदार हों..आपकी क्या राय है इस बारे में? अपने विचारों ज़रूर साझा करें...
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नारी शक्ति के लिये आवाज़ #मणिपुर
'यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता' जहाँ नारी की पूजा होती है वहाँ देवता निवास करते हैं। यही मानते हैं ना हमारे देश में? आजक...
Superb anuja...👌👌👌👏👏👏👏
ReplyDeleteVery well written.Truely said & explained
ReplyDeleteAbsolutely right. Well written.
ReplyDeleteWah behad sundar ✌🏻
ReplyDeleteWow,heart touching,brilliant
ReplyDeleteYes...Well said
ReplyDeleteGreat writen mom..... Absolutely Great thinking and truly well said about daughter's I love it �� here ashna☺☺
ReplyDeleteWell written,in a very nice way about the bonding, love care concern of mom and daughter👍👍👍👌👌👌👌
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